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छेदाण
विशेषार्थ - आचारांग सूत्र में २१ प्रकार के पानकों का उल्लेख है यथा
१ उत्स्वेदिम = गीले आटे से लिप्त पात्र (बर्तन) का धोवन । २ संस्वेदिम = उबाले हुए पत्र -शाक का जल ।
३ तन्दुलोदक = चावलों का धोवन ।
४ तिलोदक = तिलों का धोवन ।
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५ तुषोदक ६ यवोदक
- भूसी का धोवन ।
- जौ का धोवन ।
= अवश्रावण – उबाले हुए चावलों का पानी मांड आदि ।
७ आयाम
८ सौवीर = कांजी का जल ।
६ आचाम्लोदक = खट्टे पदार्थों का धोवन ।
१० कपित्थोदक = केंथ या कविठ का धोवन ।
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११ बीजपूरोदक = बिजोरे का रस ।
१२ द्राक्षोदक = दाखों या अंगूरों का रस या धोवन ।
१३ दाडिमोदक = अनार का रस ।
१४ खर्जूरोदक = खजूर या खारकों का उबाला हुआ पानी ।
१५ नालिकेरोदक = नारियल का पानी ।
१६ कषायोदक = हरड़, बहेड़ा आदि का धोवन ।
१७ आमलोदक = इमली का पानी ।
१८ चिणोदक = चनों का धोवन ।
१६ बदिरोदक = बेरों के चूर्ण का धोवन ।
२० अम्बाड़ोदक = आँवलों का पानी ।
२१ शुद्ध विकट जल = उष्ण जल ।
इनमें से अथवा अन्य अचित्त एषणीय जलों में से जहाँ जो सुलभ हो वही पानक नित्य-भोजी भिक्षु ग्रहण कर सकता है ।
सूत्र ३०
वासावासं पज्जोसवियस्स - चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजा -
१ ओसेइमं, २ संसेइमं, ३ चाउलोदगं १८ / ३०|
वर्षावास रहे हुए चतुर्थ भक्त करने वाले भिक्षु को तीन प्रकार के पानक लेने कल्पते हैं यथा :
१ उत्स्वेदिम, २ संस्वेदिम, ३ और चावलों का धोवन ।