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________________ [७०६] हुखु निश्चय-वितर्क-संभावन विस्मये |८|२| १९८ | हु खु इत्येतौ निश्चयादिषु प्रयोक्तव्यौ ॥ निश्चये । तंपि हु अछिन्निसरी । तं खु सिरीए रहस्सं ॥ वितर्कः ऊहः संशयो वा । ऊहे । न हु णवरं संगहिआ । एअं खु हसइ ॥ संशये । जलहरो खु धूमवडलो खु ॥ संभावने । तरीउं ण हु णवर इमं । एअं खु हसइ ॥ विस्मये । को खु एसो सहस्ससिरो। बहुलाधिकारादनुस्वारात्परो हुर्न प्रयो क्तव्यः ।। १९८ ॥ प्राकृतव्याकरणम् ऊ गक्षेप - विस्मय सूचने । ८ । २ । १९९ । ऊ इति गर्ह्रादिषु प्रयोक्तव्यम् ॥ गर्दा । ऊ णिल्लज ॥ प्रक्रान्तस्य वाक्यस्य विपर्यासाशङ्काया विनिवर्तनलक्षण आक्षेपः ॥ ऊ किं मए भणिअं ॥ विस्मये । ऊ कह मुणिआ अहयं ॥ सूचने । ऊ केण न विण्णायं ॥ १९९ ॥ थू कुत्सायाम् | ८ | २ | २०० | थू इति कुत्सायां प्रयोक्तव्यम् ॥ थू निल्लज्जो लोओ ॥ २०० ॥ रे अरे संभाषण - रतिकलहे | ८ | २ | २०१ | • अनयोरर्थयोर्यथासंख्यमेतौ प्रयोक्तव्यौ ॥ रे संभाषणे । रे हिअह मडहसरिआ ।। अरे रतिकलहे । अरे मए समं मा करेसु उवहासं ॥ २०१ ॥ हरे क्षेपे च | ८ | २ | २०२ | क्षेपे संभाषणरतिकलहयोश्च हरे इति प्रयोक्तव्यम् ॥
SR No.002220
Book TitleSiddh Hemchandra Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay
PublisherAnandji Kalyanji Pedhi
Publication Year
Total Pages1054
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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