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|| श्री नवतत्व विस्तरार्थः ॥
३३३ धनुष्य १ हाथ ने ८ आंगळ जेटली जाडी ने ४५ लाख जोजन लांबी पहोळी गोळाकार जग्यामां सर्व सिद्धो रहेला छे, माटे एटला प्रमाणचाळी जग्या १४ राजेलोक क्षेत्रनी अपेक्षाए असंख्यातमा भाग जेटलीज छे, तथा एक सिध्ध कमीमां कमी १ हाथ ८ आंगळ जेटली जग्यामां समाय छे, ने वधुमां वधु ३३३ धनुष्य - १ हाथ-ने ८ आंगळ जेटली जग्यामां समाय छे, तो ए जग्या पण १४ राजलोकनी अपेक्षाए असंख्यातमा भाग जेटलीज छे, माटे गाथामां कहां छे के " लोकना असंख्यातमा भोगमां एक for a सर्वे स पण रहे छे" ए बात योग्यज छे, मात्र तफा
त एज छे के एक सिध्धने माटे जे असंख्यातमो भाग कलो के ते करतां सर्वसिध्धना क्षेत्रनो असंख्यातमो भाग संख्यातगुणो मोटो जाणवो.
अवतरणः - आ गाथामां मोक्षना जीवोने स्पर्शना-काळअने अन्तर ए ३ द्वार दर्शवे छे.
१-२ कारणके कमोमां कमी २ हाथनी कायावाळो यामन जीव मोक्षे जइ शके, अने वधुमां बधु ५०० धनुष्य जेटली कायावाळो जीव मोक्षे जइ शके छे, ने अहिंना शरीरना बे तृतीयांसमा भाग जेटलो आत्मा मोक्षे जतां संकोचायली होय छे, माटे ए प्रमाण आवे छे,
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३ आ गाथाना अर्थना सार ए छे के जगतमां जेओ एम कहे छे के इश्वर सर्व जगतमां व्याप्त छे " तेओनुं कथन जैन दर्शननी अपेक्षाए अयोग्य छे, कारणके जैनदर्शनमां इश्व र देशव्यापी छे पण सर्वव्यापी नथी एम आ गाथाना भाषामां क छे,