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॥ षद्रव्येषु परिणाम्यादिद्वारवर्णनम् ॥
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स्य अने विनाशी पदार्थ अनित्य कहेवाय. त्यां जीव देवत्वादि कोइपण एक अवस्थाएं काम नहिं रहेतां देव मटीने मनुष्य थाय, मनुष्य मटीने तिर्येच थाय. तिर्येच मटीने पुनः नारक थाय इत्यादि अनेक कारणे ' जीवद्रव्य अनित्य छे, तथा पुद्गलद्रव्य पण परमाणु मटीने स्कंध थाय, काळो मटीने पीळो थाय इत्यादि
ते आ प्रमाणे- धर्मास्तिकाय अरूपी - अचेतन-अक्रिय -अने गति सहायक ए चार गुण तथा स्कंध पर्याय ए पांचवडे नित्य छे तथा देश - प्रदेश - अने अगुरुलघु ए ऋण पर्याय वडे अनित्य छे. - तथा अधर्मास्तिकाय अरूपी - अचेतन-अक्रिय - अने स्थिति सहायक ए चार गुण तथा स्कंध पर्यावडे नित्यछे. अने देश-प्रदेश - तथा अगुरुलघु ए त्रण पर्याय वडे अनित्य छे. -- तथा आकाशास्तिकाय अरूपी - अचेतन-अक्रिय अने अवकाशदान ए चार गुण तथा स्कंध पर्याय ए पांच वडे नित्य, अने देश -- प्रदेश -- तथा अगुरुलघु पर्यायवडे अनित्य छे- तथा काळ अरूपी - अचेतन... अक्रिय -अने वर्त्तनादि लक्षण प चार गुणवडे नित्य छे, अने अतीत अनागत वर्त्तमान तथा अगुरुलघु ए चार पर्यायवढे अनित्य छे. - तथा जीवास्तिकाय ज्ञान - दर्शन - चारित्र अने वीर्य ए ए चार गुण तथा अरूपी अनवगाह - अने अव्याबाध ए त्रण पर्याय मी ७ वढे नित्य छे, अने एक अगुरुलघु पर्याय बडे अनित्य छे. ( इति अध्यात्मसार प्रश्नोत्तर. )
१ शंका - सिद्धना जीवां नित्य के अनित्य ?
उत्तर - जे पदार्थ नित्य होय से अनादि अनंत भागे होय. अ ने सिद्धपणुं सादि अनन्त भागे होवाथी अनित्य छे. arrus feari नाहि काळ नथी,