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________________ (१३०) ॥ नवतत्व विस्तरार्थः ॥ नु प्रतिबिंब ते छाया कहेवाय छे, सूर्यमांथी जेम किरणरूपे पुद्गलप्रवाह वहे छे, तेम दरेक बादरपरिणामो पुद्गलस्कंधमांथी पण प्रतिसमय तदाकार सूक्ष्मस्कंध समुदाय (जलना फुवारानी माफक) वह्या करे छे, ते प्रतिसमय बहेतो सूक्ष्मस्कंध समुदाय सूर्यादिनो प्र. काशरूप निमित्त पामीने कृष्णवर्णे एकत्र पिडित थाय छे. जेने लो. कमां "छाया पडी अथवा शीळ पडयु " कहे छे. अने ते वहतो मूक्ष्मस्कंधसमुदाय दर्पण, जलविगेरेमां निर्मलतार्नु निमित्त पामी साक्षात् तदाकाररूपे पिंडित थइ जाय छे, के जेने प्रतिबिंब कहेवामां आवे छे, माटे ए छायारूप प्रतिबिंव बादर परिणामी पुद्गलद्रव्यमांथी व्हेतो सूक्ष्मपुद्गलस्कंध समुदाय होवाथी पुद्गलरूप छे, अथवा प्रतिबिंवरूप थqए पुद्गलनो धर्म-गुण छे आ संवन्धि विशेषजाणवाना जिज्ञासुओए ' द्रव्यलोकप्रकाश' वगेरे ग्रंथो जोवा. ॥ आतप.॥ मूर्यना विमानमांथी आवतो जे उष्णप्रकाश ते आतप कहेवाय छ. सूर्य,विमान स्वतः शीत ले नोपण आगळ कहेवाता आतपनामकर्मना उदयवडे विमानमा रहेला पृथ्वीकाय जीवोनो प्रकाश उष्ण आवे छे, जेने " तडको?" अथवा " तावडो" कहेवामां आवे. ए तडको मूर्यनामे इन्द्रदेवनो नथी पण आतपनामकर्मोदयी चादर पृथ्वोकायना.पिंडरूप ( सूर्यना ) विमाननो छ. ए उष्णपकाश ने पृथ्वीकायिकजीवोना औदारिक शरीरमांथी पुद्गलना प्रवाहरूपे निकळतो होवाथी प्रकाश जेमांथी नीकळे छे ते पण पुद्गल, अने प्रकाश पोते पण पुद्गलज छे. प्रथम कही गथैल उद्योतनी प. डनि पण ए प्रमाणेज विचारवी. ॥वर्ण. ॥ वर्ण पटले रंग ते कृष्ण-काळो, नील-लीलो, रक्त-रातो,
SR No.002215
Book TitleNavtattva Vistararth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Granth Prakashak Sabha
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year1923
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, B000, & B010
File Size7 MB
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