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॥ अजीवतत्त्वे शब्दादिस्वरूपवर्णनम् ॥
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छाया ( प्रतिबिंध )-आतप ( गरम प्रकाश ) तडको आ वस्तुओए करीने पुद्गलो ओळखाय छे. अने वर्ण गंध, रस अने स्पर्श ए पुद्गलोनां लक्षण (-धर्म-गुण ) छे. विस्तरार्थः-गाथामां कहेला शब्दादि ए पुद्गलना परिणामो छ, कारणके. पुद्गलमाथी उत्पन्न थाय छ, अने शब्दादि जाते पण पुद्गल छे, जेमके शब्द ए पोते पुद्गलात्मक छे. हवे ते शब्दादिकनुं किंचित् स्वरूप आ प्रमाणे छे.
॥ शब्दभेदो.॥ शब्द एटले अवाज, वनि, नाद इत्यादि. शब्द सचित्त अचित्त अने मिश्र एम ३ प्रकारनो छे. त्यां जीवनो मुखद्वारा उचारातो जे शब्द ते सचित्तशब्द, बे पत्थर अफलावाथी उत्पन्न थयेलो ते अचित्त शब्द अने जीव प्रयत्नवडे वागता मृदंगादिकनो मिश्रा शब्द. अहिं मिश्र भेद व्यवहारमाथी छे, कारणके वास्तविकरीते तो मृदंगादिनो अचित्त शब्दज गणाय अथवा जीव प्रयत्नवडे वागती सर गाइ-भुङ्गल वगेरेनो मिश्रशब्द गणाय, अथवा शब्द शुभ अने अशुभ एम बे प्रकारे छे, त्यां कर्णने आनंदकारी शुभ शब्द,अने कर्णकटु अशुभशब्द कहेवाय;अथवा शब्द व्यक्त अने अव्यक्त एम २ प्रकारनो छे त्यां द्वीन्द्रियादिकनो अने पशु इत्यादिकनो शब्द स्पष्टअक्षरात्मक नहिं होवाथी अव्यक्तशब्द अने पोपट-मनुप्यादिकनो स्पष्ट अक्षरात्मक होवाथी व्यक्तशब्द कहेवाय. इत्यादि अनेक भेद स्वबुहिए यथार्थ विचारवा.
॥ शब्दनी उत्पत्ति.॥ शब्दनी उत्पत्ति अष्टस्पर्शी ( बादर परिणामी) पुद्गलस्कंधोथी छे. अने शब्द पोते चतुःस्पर्शी पुद्गलस्कंध छे अर्थात् अष्टस्पर्शी