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॥ श्री नवतस्वविस्तरार्थः ॥
स्तिकायना असंख्य अणुओ पिंडित थइने स्कंधरूपे अनादिकाळथी. परिणमेला होवाथी धर्मा०ना सर्व अणुओ ( प्रत्येक अणु ) धर्मा० नो प्रदेश कहेवाय छे. ए प्रमाणे अधर्मा० प्रदेश, 'आकाशा प्रदेश अने जोवप्रदेश पण कहेवाय के. तथा विदेशी स्कंधथो अनंत 'प्रदेशी पुल रोमां लागेला सर्व अणु (परमाणु) पुद्गल प्रदेश कहेवाय छे.
॥ परमाणु ॥
स्कंधने नहिं वळगेको एवो जे छटो अणु ते परमाणु कहेवाय. ''परम' उत्कृष्ट, 'अणु' - अणु ते परमाणु त्यां धर्मास्तिकायना सर्व अ ga riani वळला होवाथी धर्मास्तिकायनो परमाणु नथी, अने तेबीज रीते अथर्मा वगेरे ३ द्रव्यना ( अधर्मा० - आकाशअने जीव द्रव्यना) अणुओ पण अनादि अनन्त काळ सुधी स्कंधमां वळला होवाथी ए ३ द्रव्यना परमाणु नथी. अने पुद्गल द्रव्य तो वास्तविक रीते परमाणु छे. अने स्कंन, देश, अने प्रदेश ए तो पुद्गल परमाणुना विकाररूप छे, कारणके ६ द्रव्यमां जीव अने पु
द्रव्य विभावस्वभावी छे, त्यां जीवना देवत्व नरत्वादि अने पुलना स्वादि विभावस्वभाव है, माटे तची तो परमाणु एज पुल छे, अने स्कंधादि तो उपचारथी ( व्यवहारथी ) पुनलव्यपदेशवाळा छे.
प्रश्नः - ६ द्रव्यमां धर्मास्तिकायादि द्रव्यना स्कंध देश अने देश गया अने काळद्रव्यना कंवादिनी गणत्री केम न करी ?
१. पर्मा० अधम अने एक जीवना प्रदेश सरखी संख्याए असंख्यात ले. माटे प्रत्येकना असंख्य असंख्य प्रदेश जाणवा अने आकाश द्रव्य अनंत प्रदेशी होवाथी आकाशना प्रदेश अनंन जाएगा.