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________________ पारिभाषिक शब्दकोश अकर्मभूमि- मनुष्य - जिस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले मनुष्य अपने जीवन-निर्वाह के लिए कोई कर्म (काम) नहीं करते । कल्पवृक्षों के द्वारा उनकी अभिलाषाओं एवं इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है । अकल्पनीय - ग्रहण करने योग्य नहीं है । अकुशल - सदोष । अग्रबीज - जिस वनस्पति के अग्र-आगे के भाग में बीज है, जैसे - नारियलादि । अगीतार्थ - जो साधु 16 वर्ष से कम आयु का है, वह वय-अगीतार्थ है और जो साधु श्रुत में आचार-प्रकल्पागम, अर्थात् आचाराङ्ग और व्यवहार एवं निशीथ के अर्थ का ज्ञाता नहीं है, वह श्रुत से अगीतार्थ है । अचित्त-चेतना से रहित पदार्थ । जड़ पदार्थ अचित्त कहलाते हैं । अचित्त-योनि-जो उत्पत्तिस्थान जीवप्रदेशों से रहित है । अचेलक5 - स्वल्प या मर्यादित वस्त्र - युक्त या वस्त्र -रहित मुनि । अतीरंगम - संसार-सागर को तैर कर किनारे पर पहुंचने में असमर्थ व्यक्ति । अध्यवसाय - परिणाम या भाव - विचार | अनगार–घर-परिवार से रहित साधु, श्रमण, निर्ग्रन्थ। अनन्तानुबंधी-क्रोध-जिसके क्रोध का अनन्त प्रगाढ़ अनुबन्ध - बन्धन है, अर्थात् जिसके साथ वैर-विरोध हो गया, वह जीवनपर्यन्त बना रहता है, उसका क्रोध कभी समाप्त नहीं होता, उसे अनन्तानुबन्धी क्रोध कहते हैं । अन्तर्द्रष्टा- - आत्मा को देखने वाला, आत्म-चिन्तन करने वाला । अन्तराय-कर्म-आत्मा के स्वाभाविक गुणों को प्राप्त करने में रुकावट डालने वाला कर्म ।
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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