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________________ तृतीय अध्ययन, उद्देशक 2 पाँव बढ़ाने लगता है। इसलिए निष्कर्म बनने का अर्थ हैं - जन्म और मरण की परम्परा को सदा-सर्वदा के लिए समाप्त कर देना । 493 इसलिए साधक को सबसे पहले निष्कर्मदर्शी बनना चाहिए। उसकी दृष्टि, भावना एवं विचार-चिन्तन निष्कर्म बनने की ओर ही होनी चाहिए । जब मन में निष्कर्म बनने की भावना उबुद्ध होगी, तभी वह उस ओर पांव बढ़ा सकेगा और उस मार्ग में आने वाले प्रतिकूल एवं अनुकूल साधनों को भली-भांति जान सकेगा। इसी ..दृष्टि को सामने रखकर कहा गया है - वह सप्त भय एवं संयम मार्ग का द्रष्टा है । उनके स्वरूप एवं परिणाम को भली-भांति जानता है। इसलिए उसे ‘परमदंसी’–परमदर्शी अर्थात् सर्वश्रेष्ठ मोक्ष मार्ग का द्रष्टा कहा है। वह ज्ञान-दर्शन से सम्पन्न साधक आचार से भी सम्पन्न होता है। वह एकांत, शांत एवं निर्दोष स्थान में ठहरता है और अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थिति के उपस्थित होने पर भी राग-द्वेष नहीं रखता हुआ समभाव से संयम साधना में संलग्न रहता है । सदा उपशांत भाव में निमज्जित रहता है और पांच समिति से युक्त होकर तप संयम के द्वारा पूर्व में बंधे हुए पाप कर्मों का क्षय करने में सदा यत्नशील रहता है। `प्रस्तुत सूत्र में 'परमदंसी' पद से यह अभिव्यक्त किया गया है कि साधक सम्यग्दर्शन और ज्ञान से सम्पन्न होता है । 'समिए' शब्द चारित्र का परिचायक है और ‘विवित्त जीवी' और 'परिव्वए' शब्द तप एवं वीर्य आचार के संसूचक हैं | इस प्रकार इस सूत्र में साधक का जीवन ज्ञान, दर्शन; चारित्र, तप और वीर्य पांचों आचार से युक्त बताया गया है। सांख्य दर्शन आत्मा को कर्म से आबद्ध नहीं मानता है। उसके विचार में आत्मा शुद्ध है, इसलिए बन्ध एवं मोक्ष आत्मा का नहीं, प्रकृति का होता है । परन्तु वस्तुतः . संसारी आत्मा बन्धन रहित नहीं हैं, क्योंकि वह निष्कर्म नहीं, अपितु कर्मयुक्त है । 'बहु पावं कम्मं पगडं' इस पाठ से इसी बात को स्पष्ट किया गया है कि वह बहुत पापकर्म से आबद्ध है। इसका अतः निष्कर्म व्यक्ति को पापकर्मों का सर्वथा क्षय कैसे करना चाहिए, मार्ग बताते हुए सूत्रकार कहते हैं
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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