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द्वितीय अध्ययन, उद्देशक 4
महोवगरणं भवइ, तंपि से एगया दायाया विभयन्ति, अदत्ताहारो वा से हरति, रायाणो वा से विलुम्पन्ति नस्सइ वा से विणस्सइवा से, अगारदाहेण वा से डज्झइ, इय से परस्स अट्ठाए कूराणि कम्माण बाले पकुव्वमाणे तेण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुवेइ ॥8॥
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छाया- -त्रिविधेन यापि तस्य तत्र मात्रा भवति अल्पा वा बह्वी वा तस्य तत्र गृद्धस्तिष्ठति भोजनाय तत्तस्तस्य एकदा विपरिशिष्टं संभूतं महोपकरणं भवति, तदपि तस्यैकदा दायादाः विभजन्ते, अदत्तहारो वा तस्य हरति, राजानो वा तस्य विलुम्पन्ति, नश्यति वा तस्य विनश्यति वा तस्य, अगारदाहेन वा तस्य दह्यते अतः स परस्मै अर्थाय क्रूराणि कर्माणि बालः प्रकुर्वाणस्तेन दुःखेन मूढो विपर्यासमुपैति ।
कुछ
• पदार्थ - तिविहेणं - तीन करण और तीन योग से एकत्रित की हुई । जावि - जो भी। से- उसकी । तत्थ - वहां पर । मत्ता - अर्थ मात्रा । भवइ - होती है । अप्पा वा बहुगा वा अल्प या बहुत । तत्थ - उस अर्थ- द्रव्य मे । भोयणा - उसका उपभोग करने के लिए । से- - वह व्यक्ति । गड्ढए चिट्ठइ - आसक्त बना रहता है । तओ-तत्पश्चात् । से-उसके पास । एगया - किसी समय । विपरिसिट्ठ-भोग के पश्चात् शेष बचा हुआ। संभूयं - प्रचुर मात्रा में । महोवगरणं - महान् धन । भवई - एकत्रित हो जाता है। से - उसके । तंपि - उस एकत्रित धन को भी । एगया - किसी समय । दायाया - सगे सम्बन्धी । विभयंति - परस्पर बांट लेते हैं । अदत्ताहारो वा - अथवा चोर । से हरति- उस धन को चुरा लेते हैं। रायाणो वा - राजा लोग । विलुम्पति - - उस धन को विभिन्न करों के रूप में लूट लेते हैं । वा - अथवा से- - उसका धन । नस्सइ - नष्ट हो जाता है । वा से - या उसका धन । विणस्सइविनष्ट हो जाता है । वा - अथवा । अगारदाहेण - घर में आग लग जाने से । सेउसका धन । इज्झइ - जल जाता है । इय - इस प्रकार से । से - वह अज्ञानी जीव । परस्सअट्ठाए-दूसरों के लिए । क्रूराणि कम्माई - क्रूर कर्म । पकुव्वमाणे- करता हुआ । तेण- उस । दुक्खेण - दुःख से । मूढे - मूढ़ बना हुआ । विण्परियासमुवेइविपरीत भाव को प्राप्त हो जाता है ।
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