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________________ अध्यात्मसार: 7 255 संतिगया-जो शांतिकर हो गया, परम शांति को प्राप्त हो गया, अर्थात् जिन्हें स्वरूप का बोध हो गया। अशांति के दो प्रकार हैं-1. योग की चंचलता, 2. कषाय। शक्ति किसमें है? शान्ति में समस्त शक्तियों का मूल है। चित्त की उपशान्ति जिससे आत्म शक्ति का विकास होता है। जितने-जितने अंशों में चित्त की उपशान्ति होगी, उतने-उतने अंशों में शक्ति मिलेगी। जिस दिन हम पूर्ण शान्त हो जाते हैं, उस दिन पूर्ण शक्ति एवं सामर्थ्य उपलब्ध होती है। जैसे केवली भगवान। __दविया-एक अपेक्षा से द्रव्य का बोध हो जाना। द्रव्य-अर्थात् मूलस्वरूप, सत्ता, मूलगुण, जो यथावत् सदा सर्वदा रहते हैं। पर्याय बदलती है। वह भिन्न-भिन्न रूप ले सकती है, लेकिन द्रव्य नहीं बदलता। जब व्यक्ति का, द्रव्य का आत्मगत शुद्ध स्वरूप का, मूल सत्ता का बोध हो जाता है, तब उसे लोक में रहे हुए, सभी जीव और अजीव की सत्ता का बोध होता है। इस द्रव्यबोध के होने पर जीवैषणा, जीवाकांक्षा, जो अनेक आकांक्षाओं का मूल है, उसका विच्छेद हो जाता है। : णाव कखंति जीविउं-क्योंकि उसे यह बोध हो जाता है कि मुझे कोई मार नहीं सकता, मेरी कोई मृत्यु नहीं है, न मुझे अग्नि जला सकती है, न मुझे शस्त्र छेदन कर सकता है। न पवन उड़ा सकता है। न मुझे पानी डुबा सकता है। मेरा अस्तित्व अजर-अमर है। तब फिर जीने की आकांक्षा कैसे रहेगी? __ जीवाकांक्षा तंब तक है, जब तक मरण का भय रहता है। लेकिन जब यह बोध हो जाता है कि मैं अमर हूँ, अमृत मेरा स्वरूप है, तब जीने की आकांक्षा अपने आप चली जाती है। .. आरंभ-समारंभ से साधक निवृत्त हो जाता है, क्योंकि जब उसे ज्ञात होता है कि मेरे जीवन के लिए अन्य जीवों का आरंभ-सभारंभ आवश्यक नहीं है। जीवैषणा जो आरंभ का मूल है, अनेकानेक कामनाओं की जननी है, उससे रहित होने पर अपने आप आरंभ-समारंभ से निवृत्ति आती है। स्वरूपबोध होने पर जब देहाध्यास से व्यक्ति निवृत्त होता है, तब मान इत्यादि कषाय न्यूनतम, अर्थात् बहुत ही कम हो जाते हैं। पूर्ण कषाय क्षय तो आगे जाकर होता है, लेकिन जो संज्वलन के रूप में रहते हैं, वे कभी-कभी वृद्धिगत भी हो जाते
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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