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________________ 110 श्री आचाराङ्ग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कंध अन्ध-जन्मांध, मूक, बधिर, पंगु पुरुष को। अब्भे-कून्तादि से भेदन करे। अप्पेगे-कोई व्यक्ति। अन्धमच्छे-अंध, बधिर, मूक और पंगु व्यक्ति का शस्त्र द्वारा छेदन करे। ___जन्मांद्य, बधिर और मूक व्यक्ति की अव्यक्त वेदना के उदाहरण द्वारा पृथ्वीकाय जीवों की वेदना समझाकर अब सूत्रकार एक व्यक्त चेतना वाले व्यक्ति के उदाहरण द्वारा पृथ्वीकायिक जीव की वेदना से तुलना करते हैं। जैसे किसी व्यक्ति का, अप्पेगे-कोई पुरुष। पायमन्भे-पांव का भेदन करे। पायमच्छे-पांव का छेदन करे। गुप्फमब्भे-गिट्टों का भेदन करे। गुप्फमच्छे-गिट्टों का छेदन करे। जंघमन्मे 2-जंघाओं का छेदन-भेदन करे। जानुमब्मे 2-जानुओं का छेदन-भेदन करे। उरुमब्मे 2-उरुओं का छेदन-भेदन करे। कडिमब्भे 2-कटि-कमर का छेदन-भेदन करे। णाभिमब्भे 2-नाभि का छेदन-भेदन करे। उदरमब्भे 2-उदर-पेट का छेदन-भेदन करे। पासमब्भे 2-पार्श्व का छेदन-भेदन करे। पिट्ठिमब्भे 2-पृष्ठ भाग-पीठ का छेदन-भेदन करे। उरुमब्मे 2-छाती का छेदन-भेदन करे। हियमब्भे 2-हृदय का छेदन-भेदन करे। थणमब्भे 2-स्तनों का छेदन-भेदन करे। खंधमब्भे-स्कंध का छेदन-भेदन करे। बाहुमब्भे 2-भुजाओं का छेदन-भेदन करे। हत्थमब्भे 2-हाथों का छेदन-भेदन करे। अंगुलिमब्मे 2-अंगुलियों का छेदन-भेदन करे। णहमब्मे 2-नखों का छेदन-भेदन करे। गीवमब्मे 2-ग्रीवा-गर्दन का छेदन-भेदन करे। हणुमब्भे 2-ठोड़ी का छेदन-भेदन करे। ओठमब्भे 2-ओष्ठों का छेदन-भेदन करे। दंतमन्मे 2-दांतों का छेदन-भेदन करे। जिव्भमब्भे 2-जिह्वा का छेदन-भेदन करे। तालुमब्भे 2-तालु का छेदन-भेदन करे। गलमब्भे 2-गले का छेदन-भेदन करे। गंडमब्मे 2-गंडस्थल-कपोल का छेदन-भेदन करे। कण्णमब्मे 2-कान का छेदन-भेदन करे। णासमब्भे 2-नासिका का छेदन-भेदन करे। अच्छिमब्भे 2-आंखों का छेदन-भेदन 1. 'अन्धं' पद केवल जन्मांध का बोधक है, परन्तु उपलक्षण से बधिर आदि का भी संसूचक है। 2. 'अप्पेगे' शब्द का सब जगह कोई पुरुष अर्थ समझना चाहिए और सबके साथ यथास्थान जोड़ना चाहिए।
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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