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________________ श्री आचाराङ्ग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कंध मूलार्थ-वह ज्ञाता स्वमति या सन्मति से, तीर्थकर के उपदेश से अथवा किसी अन्य अतिशय ज्ञानी से सुनकर यह जान लेता है कि मैं पूर्व दिशा से आया हूँ यावत् किसी भी दिशा-विदिशा से आया हूँ और वह यह भी परिज्ञात कर लेता है कि मेरी आत्मा औपपातिक है। इसके अतिरिक्त वह इस बात को भी भली-भांति समझ लेता है कि अमुक दिशा-विदिशाओं में भ्रमणशील जो आत्मा है, वह मैं ही हूँ। ___सोऽहं-'सोऽहं' का एक अर्थ, सः-सिद्ध भगवान अहं-मैं अर्थात् मैं वही हूँ। मेरे और सिद्ध भगवान के मूल स्वरूप में कोई अन्तर नहीं है। दूसरा अर्थ-जितनी भी आत्माएं हैं, वे सभी मेरे ही समान हैं, मुझसे अलग कोई नहीं है, सभी में मैं ही हूँ और मुझमें सभी हैं। जिस दिन व्यक्ति को स्वरूप का 'स्वयं का' बोध होता है, उस दिन उसे यह भी बोध होता है कि सभी में मेरे समान ही अस्तित्व है। देह और योनि कर्म आवरण के कारण अलग-अलग होने के बावजूद भी मूल रूप से सभी में मेरे समान ही अस्तित्व है। आत्मवत् सर्व भूतेषुः । यह ज्ञान होने पर स्वभावतः मैत्री-भाव का जन्म होता है। स्वरूप के बीध से मंगलमैत्री का जन्म होता है और मंगल मैत्री में चित्त को भावित करने से स्वरूपबोध की साधना में सहयोग मिलता है, क्योंकि जब सभी में अपना स्वरूप दिखाई देता है, तब सभी के प्रति निकटता और मैत्री का अनुभव स्वयमेव होता है। उसी मैत्री के आधार पर अहिंसा-सत्य आदि आचार का जन्म होता है। फिर भेद मिटकर अभेद का बोध होता है। इसीलिए पहले सम्यक् दर्शन, फिर व्रत जो निश्चय सम्यक्दर्शनआत्मबोध-सोऽहं। व्यवहार सम्यक् दर्शन देव, गुरु, धर्म के प्रति आस्था जैसे ही स्वरूप का बोध होता है-जीव और अजीव का बोध होता है। सम्यक् दर्शन क्या है? जीव और अजीव का बोध होना। जैसे श्री अन्तकृतदशांग-सूत्र में सुदर्शन सेठ का वर्णन करते हुए कहा गया कि वे जीव और अजीव के ज्ञाता थे। यही निश्चय वास्तविक सम्यक् दर्शन है। व्यवहार सम्यक् दर्शन-इसकी प्राप्ति हेतु साधना रूप सहयोगी है। इस प्रकार स्वरूप का बोध होने के बाद में व्रत आते हैं। अनेक जीवात्माएं व्यवहार से व्रत
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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