________________
घटाना, बढ़ाना, भाग देना, जोड़ना इनमें ही नहीं है, प्रत्युत सभी व्यवहारों में हिसाब के प्रकार भिन्न-भिन्न हैं। नक्शा व चित्र बनाते या लेते समय भी हिसाब से ही काम लिया जाता है। प्रत्येक वस्तु का निर्माण हिसाब से ही होता है। जहां हिसाब से काम नहीं चलता, वहां मीटरों से काम लिया जाता है। पानी, विद्युत, गति, वाष्प, ऊंचाई, समतल आदि जानने के लिए मीटर बने हुए हैं, घड़ियां बनी हुई हैं, और यंत्र भी, उनके द्वारा हिसाब लगाने में सुगमता रहती है । विश्व में ऐसा कोई कार्य विभाग नहीं, ऐसा कोई विषय नहीं, ऐसी कोई विद्या, कला, शिल्प नहीं, जिसमें गणित की आवश्यकता न हो। इसी कारण दृष्टिवाद में सर्वप्रथम परिकर्म अध्ययन रखा गया है। दृष्टिवाद में गणित की शैली कुछ विलक्षण ही है। ग्यारह अंगसूत्रों में संख्यात का वर्णन विशद रूप से मिलता है किन्तु असंख्यात और अनन्त का उतना विस्तृत विवेचन नहीं, जितना कि दृष्टिवाद के परिकर्म नामक प्रथम अध्ययन के अन्तर्गत है। संख्यात, असंख्यात और अनन्त का संक्षिप्त दिग्दर्शन कराना जिज्ञासुओं की जानकारी के लिए समुचित होगा। संख्या के आद्योपान्त को संख्यात कहते हैं । संख्या दो प्रकार की होती : है, एक लौकिक और दूसरी लोकोत्तरिक। इकाई, दहाई, सैंकड़ा, हजार, दस हजार, लाख, दस लाख, करोड़ - दस करोड, अर्ब-दस अर्ब, खर्ब - दसखर्ब, नीलम- दसनीलम, पद्म- दसपद्म, शंख-दसशंख (महाशंख) इससे आगे लौकिक संख्या का अवसान है। क्योंकि इससे आगे लौकिक संख्या व्यवहार में प्रयुक्त नहीं होती, किन्तु लोकोत्तरिक संख्या इससे बहुत आगे तक है। एक सौ चौरानवें अंकों तक आगमों में संख्या वर्णित है जैसे कि
1. समय (काल का अविभाज्यांश ।
2. असंख्यात समयों की एक आवलिका ।
3. संख्यात आवलिकाओं का एक आणापाणु ।
4. सात आणापाणु का एक स्तोक ।
5. सात स्तोक का एक लव । 6. सात लवों की एक नालिका । 7. साढ़े 38 नालिकाओं की एक घड़ी ।
8. दो घड़ियों का एक मुहूर्त्त ।
9. तीस मुहूर्त का एक अहोरात्र । 10. पन्द्रह अहोरात्र का एक पक्ष । 11. दो पक्षों का एक मास ।
12. दो मासों की एक ऋतु ।
13. तीन ऋतुओं का एक अयन । 14. दो अयनों का एक वर्ष ।
15. पांच वर्षों का एक युग ।
16. बीस युगों की एक शती । 17. दस शतियों का एक हजार । 18. शतसहस्रों का एक लाख । 19. चौरासी लाख का एक पूर्वांग । 20. चौरासी लाख पूर्वांगों का एक पूर्व । 21. चौरासी लाख पूर्वों का एक त्रुटितां । 22. चौरासी लाख त्रुटितांगों का एक त्रुटि ।
23. चौरासी लाख त्रुटित का एक अटटांग 24. चौरासी लाख अटटांगों का एक अटट।
इसी प्रकार आगे आने वाली संख्या को चौरासी लाख से गुणा करने पर यावत् शीर्षप्रहेलिका तक चौरासी लाख अटट का एक अववांग, चौरासी लाख अववांग का एक अवव अर्थात् पूर्व-पूर्व
❖ 64❖