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(4) __इसके बाद क्रम कुछ अन्य ही प्रकार से बदला, जैसे कि| 3/8 |16 |25 | 11 | 17/ 29 | 14/ 50 | 80 | 5/74 | 72 | 49 |29 | मोक्षे । | 5 |12 | 20 |9 |15 | 31 | 28 | 26 | 73 | 4 90 | 65 | 27| 103| 0 | सर्वार्थ |
(5) इसके बाद फिर अन्य ही प्रकार से क्रम बदला| 29 | 34 | 42 |51 37 43 55 40 76 106 | 31 | 100 / 98 | 75 55| सर्वार्थ सिद्धौ गताः | 31 | 38 | 46 | 35 | 41 |57 |54 | 42 |99 | 30 | 116 | 91 |53|129| 0 | मोक्षे गताः
पहली स्थापना से लेकर पांचवीं स्थापना तक लाख या हजार नहीं समझने अपितु यावती संख्या पहले क्रम में दी है, उतने सूर्यवंशीय राजा मोक्ष जाते रहे फिर नीचे की पंक्ति
की संख्या वाले सर्वार्थसिद्धि में-एक मोक्ष में तीन सर्वार्थसिद्ध में, 3 मोक्ष में 4 सर्वार्थसिद्धि में, इस प्रकार की गणना करनी चाहिए।' पांचवीं स्थापना में जो शून्य पद दिया है उससे आगे मोक्ष गति में जाना बन्द हो गया, तब श्री अजितनाथजी के पिता उत्पन्न हो गए थे। तब से लेकर सर्वार्थसिद्धि के अतिरिक्त अन्य अत्तत्तर देवलोक में भी जाने लगे किन्तु मोक्ष में जाना बन्द हो गया था। जब तकं जीव मोक्ष गमन करते रहते हैं, तब तक तीर्थंकर का जन्म नहीं होता। बन्द हुए मार्ग को केवलज्ञान प्राप्त कर तीर्थंकर ही खोलते हैं। पार्श्वनाथजी का शासन महावीर के शासन प्रारम्भ होने तक ही वस्तुतः चला–यदि फिर भी कुछ साधु-साध्वियां श्रीवक तथा श्राविकाएं इस प्रकार भगवान पार्श्वनाथ के अनुयायी रहे, वह वास्तव में शासन नहीं कहलाता। जब महावीर स्वामी का जन्म हुआ तब पार्श्वनाथ जी के शासन में से केवलज्ञान, और सिद्धत्व की प्राप्ति बिल्कुल बंद हो चुकी थी। पार्श्वनाथ जी के चौथे पट्टधर आचार्य तक मुमुक्षु मोक्ष प्राप्त करते रहे। तत्पश्चात् उस शासन में मोक्ष प्राप्त करना बन्द हो गया था। वे उतनी उच्चक्रिया नहीं कर सके, जिससे कर्मों से सर्वथा मुक्त हो सकें। भगवान महावीर के निर्वाण के बाद, उनके शासन में 64 वर्ष तक तीसरे पट्टधर आचार्य जम्बू स्वामीपर्यन्त मोक्ष प्राप्त करने वाले मोक्ष प्राप्त कर सके, तदनन्तर नहीं। परमविशुद्धसंयमाऽभावात्। ____ अतः सिद्ध हुआ कि तीर्थंकर आइगराणं धर्म की आदि करने वाले होते हैं। परमविशुद्ध संयम और चरम शरीरी मनुष्यों का जब तक अस्तित्व रहता है, तब तक निर्वाण मार्ग खुला रहता है। परमविशुद्ध धर्म की आदि तीर्थंकर ही करते हैं।
-अ.रा.को.
1. चउत्थाओ पुरिसजुगाओ जुगन्तकडभूमी (कल्पसूत्र)
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