SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 520
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८। सुयनिस्सिए दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-अत्थोग्गहे चेव, वंजणोग्गहे चेव, १९॥ असुयनिस्सिएऽवि एवमेव २०। सुयनाणे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-अंगपविढे जेव, अंगबाहिरे चेव २१।अंगबाहिरे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-आवस्सए चेव, आवस्सय-वइरित्ते चेव २२। आवस्सयवइरित्ते दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-कालिए चेव उक्कालिए चेव २३।। -स्थानांग सूत्र, स्थान २, उद्देश १, सूत्र ७१। _' आभिणिबोहियनाणस्स णं छव्विहे अत्थोग्गहे पण्णत्ते, तंजहा-सोइंदियत्थोग्गहे जाव नोइंदियत्थोग्गहे। -स्थानांग सूत्र, स्थान ६, सूत्र ५२५। छविहे ओहिनाणे पण्णत्ते, तंजहा-आणुगामिए, अणाणुगामिए, वड्ढमाणए, हीयमाणए, पडिवाई अपडिवाई। -स्थानांग सूत्र, स्थान ६, सूत्र ५२६। छव्विहा उग्गहमई पण्णत्ता, तंजहा-खिप्पमोगिण्हइ, बहुमोगिण्हइ, बहुविधमोगिण्हइ, धुवमोगिण्हइ, अणिस्सियमोगिण्हइ, असंदिद्धमोगिण्हइ। छव्विहा ईहामई पण्णत्ता, तंजहाखिप्पमीहइ, बहुमीहइ, जाव असंदिद्धमीहइ। छव्विहा अवायमई पण्णत्ता, तंजहाखिप्पमवेई, जाव असंदिद्धं अवेइ। छव्विहा धारणा पण्णत्ता, तंजहा-बहुं धारेइ, बहुविधंधारेइ, पोराणं धारेइ, दुद्धरं धारेइ, अणिस्सियं धारेइ, असंदिद्धं धारे।। -स्थानांग सूत्र, स्थान ६, सूत्र ५१०। ___ आभिणिबोहियनाणे अट्ठावीसइविहे. पण्णत्ते, तंजहा-सोइंदियअत्थावग्गहे, चक्खिंदिय- अत्थावग्गहे, घाणिंदिय-अत्थावग्गहे, जिब्भिंदिय-अत्थावग्गहे, फासिंदियअत्थावग्गहे, णोइंदिय-अत्थावग्गहे। '. सोइंदिय-वंजणोग्गहे, घाणिदिय-वंजणोग्गहे, जिभिदिय-वंजणोग्गहे, फासिंदियवंजणोग्गहे। .. सोइंदिय-ईहा, चक्खिदिय-ईहा, घाणिंदिय-ईहा, जिभिदिय-ईहा, फासिंदिय-ईहा, णोइंदिय-ईहा। ___ सोइंदियावाए, चक्खिदियावाए, घाणिंदियावाए, जिभिदियावाए, फासिंदियावाए, णोइंदियावाए। सोइंदिअ-धारणा, चक्खिंदिय-धारणा, घाणिंदिय-धारणा, जिब्भिंदिय-धारणा, फासिंदिय- धारणा, णोइंदिय-धारणा। -समवायांग सूत्र, समवाय २८ से किं तं असंसारसमावण्ण-जीवपण्णवणा ? असंसारसमावण्ण-जीवपण्णवणा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-अणंतरसिद्ध-असंसारसमावण्ण-जीवपण्णवणा य, परंपरसिद्धअसंसारसमावण्ण-जीवपण्णवणा य। - 511 -
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy