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से किं तं अणंतरसिद्ध असंसारसमावण्ण- जीवपण्णवणा ? अणंतरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा पण्णरसविहा पण्णत्ता, तंजहा - तित्थसिद्धा, अतित्थसिद्धा,' तित्थगर सिद्धा, अतित्थगरसिद्धा, सयंबुद्धसिद्धा, पत्तेयबुद्धसिद्धा, बुद्धबोहियसिद्धा, इत्थीलिंगसिद्धा, पुरिसलिंगसिद्धा, नपुंसगलिंगसिद्धा, सलिंगसिद्धा, अन्नलिंगसिद्धा, गिहिलिंगसिद्धा, एगसिद्धा, अणेगसिद्धा ।
- प्रज्ञापनासूत्र, सिद्धपद सूत्र ६-७ ।
प्रज्ञापना सूत्र के 21वें पद में आहारक शरीर का वर्णन किया गया है। उसका पाठ नन्दीसूत्र में प्रतिपादित मन:पर्यव ज्ञान के साथ मिलता-जुलता है। अतः पाठकों के ज्ञान के लिए, वह सूत्र - पाठ उद्धृत किया जाता है
आहारगसरीरेणं भंते ! कतिविधे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते । जइ एगागारे, किं मणूस आहारगसरीरे, अमणूस आहारग- सरीरे ? गोयमा ! मणूस आहारगसरीरे नो अमणूस आहारगसरीरे ।
जइ मणूस-आहारगसरीरे, किं संमुच्छिममणूस आहारगसरीरे, गब्भवक्कंतिय-मणूसआहारगसरीरे ? गोयमा ! नो संमुच्छिममणूस आहारगसरीरे, गब्भवक्कंतिय-मणूसआहारगसरीरे ।
जइ गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारग सरीरे, किं कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय- मणूसआहारगसरीरे, अकम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे, अंतरद्दीवगगब्धवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे ? गोयमा ! कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे, नो अकम्मभूमग- गब्भवक्कंतिय- मणूस आहारगसरीरे, नो अन्तरद्दीवगगब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे ।
जइ कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे, किं संखेज्जवासाउयकम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे, असंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय- मणूस आहारगसरीरे ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय - कम्मभूमग- गब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे, नो असंखेज्जवासाउय - कम्मभूमग-गब्भवकंतिय-मणूस - आहारगसरीरे ।
जइ संखेज्जवासाउय - कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे, किं पज्जत्तसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय- मणूस आहारगसरीरे, अपज्जत्तसंखेज्जवासाय - कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे ? गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग- गब्भवक्कंतिय- मणूस आहारगसरीरे, नो अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे ।
जइ पज्जत्त-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे, किं सम्मदिट्ठि - पज्जत्त-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरें, मिच्छदिट्ठि - पज्जत्त-संखेज्जवासाउय - कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस आहारगसरीरे,
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