SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३. शाटिका आदि - किसी नगर में एक राजा राज्य करता था । उसके राजकुमारों को कोई कलाचार्य शिक्षा देने लगा। उन राजकुमारों ने विद्याध्ययन के पश्चात् कलाचार्य को बहुत धन भेंट स्वरूप दिया। राजा लोभी था। जब उसे ज्ञात हुआ तो कलाचार्य को मार कर उससे सारा धन छीन लेना चाहा। राजकुमारों को राजा के विचार का पता किसी प्रकार लग गया। वे सोचने लगे-" कि विद्या का दान देने से कलाचार्य भी हमारे पिता के तुल्य ही हैं। इसलिए किसी प्रकार कलाचार्य को इस आपत्ति से बचाना चाहिए ।" विचार कर कलाचार्य ने जब भोजन करने से पहले स्नान के लिए राजकुमारों से सूखी धोती मांगी तो कुमार कहने लगे–“अहो शाटिका गीली है । " द्वार के सन्मुख शुष्क तिनका करके कहने लगे - " तृण लम्बा है। ।" "पहले क्रौञ्च सदा प्रदक्षिणा किया करता था, अब वह बायीं ओर घूम रहा है । ' इन विपरीत बातों को देख आचार्य को ज्ञान हुआ - " कि सभी मेरे से विरक्त हैं, केवल ये राजकुमार गुरुभक्ति के वशीभूत मुझे ज्ञापन कर रहे हैं। इसलिए जब तक मुझे अन्य कोई नहीं देखता, यहां से भाग जाना ही श्रेयस्कर है।" यह कुमारों और कलाचार्य की वैनयिकी बुद्धि का उदाहरण है। " १४. नीम्रोदक- किसी वणिक् - स्त्री का पति चिरकाल से प्रदेश में गया हुआ था। अतः वणिक् की स्त्रीने कामातुर हो अपनी दासी से कहा - " किसी पुरुष को लाओ।" दासी आज्ञा का पालन करते हुए किसी जार पुरुष को ले आयी । आगन्तुक व्यक्ति के नख व केशों को नापित बुला कर संवारा गया और अच्छी प्रकार से उसकी सेवा की गई। रात्रि आने पर दोनों उपरि प्रकोष्टक में व्यभिचार सेवनार्थ चले गये। रात्रि को वृष्टि आरम्भ हो गई। उस व्यक्ति ने प्यास लगने से तात्कालिक मेघ के पानी को पिया। वह जल मृतसर्प की त्वचा से संमिश्रित था। अत: उस पानी के पीने से उसकी मृत्यु हो गई। यह देख उस स्त्री ने रात्रि के अन्तिम भाग में मृतपुरुष को ले जाकर एक शून्य देवकुलिका में डाल दिया। प्रभात होने पर सिपाहियों ने उस मृत को वहां पड़ा पाया। राजपुरुष विचारने लगे कि इस व्यक्ति की मृत्यु कैसे हुई ? विचारते-विचारते उन्होंने देखा कि इसके नाखून और केश तत्कालिक ही संवारे हुए हैं। उन्होंने नगर के नाइयों को बुलाया और पूछा कि किसने इस व्यक्ति के नाखून और बाल काटे हैं? तब एक नाई ने कहा- " मैंने अमुक वणिक् की स्त्री की दासी के कहने से इसके बाल और नख काटे हैं।” दासी ने पहिले तो कुछ न बताया। किन्तु मार पड़ने पर यथातथ्य बात कह दी। वैनयिकी बुद्धि का यह दण्डपाशिकों का उदाहरण है। १५. बैलों की चोरी, घोड़े का मरण, वृक्ष से गिरना - कोई पुण्यहीन व्यक्ति जो कुछ भी करता उसके कारण वह विपत्ति में पड़ जाता है। एक दिन ऐसे ही किसी पुण्यहीन किसान ने अपने मित्र से बैल मांग कर हल चलाया। कार्य समाप्त होने पर, असमय में मित्र के बाड़े में बैलों को छोड़ आया। उस समय मित्र भोजन कर रहा था। अतः वह उसके पास न गया। मित्र ने भी बैलों को बाड़े में छोड़ते समय उस व्यक्ति को देख लिया था। अत: वह मित्र से कुछ कहे बिना अपने घर चला गया। बैल बन्धे नहीं थे, इसलिए वे बाड़े से बाहर निकल कर कहीं चले गए और उन्हें चोर पकड़ कर ले गए। बैलों को बाड़े में न पाकर मित्र 327
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy