________________
विवाह करके उसे गृहजामाता बना लिया। यह अश्वस्वामी की विनय से उत्पन्न बुद्धि है। ___ ग्रन्थि-पाटलीपुत्र में मुरुण्ड नामक राजा रहता था। किसी अन्य राजा ने मुरुण्ड राजा को तीन विचित्र वस्तुएं भेजीं, जैसे-ऐसा सूत जिसका किनारा नहीं था। एक लाठी जिसकी गांठ का पता न लगे और एक डिब्बा जिसके द्वार का पता न लग सके। उन सब पर लाख को ऐसा चिपकाया था कि किसी को ज्ञात न हो सके। राजा मुरुण्ड ने यह कौतुक सभी सभासदों को दिखाया। परन्तु किसी को ज्ञात न हो सका कि क्या कारण है। तब राजा ने आचार्य पादलिप्त को सभा में बुलाकर पूछा-"भगवन् ! क्या आप जानते हैं कि यह क्या रहस्य है?" आचार्य बोले-"हां मैं जानता हूं।" आचार्य ने गर्म पानी में सूत्र को डाला। गर्म पानी से लाक्षा गल गई और सूत्र का किनारा दिखाई दिया। इसी प्रकार यष्टि भी पानी में डाली जो गांठ वाला भारी किनारा था वह पानी में डूब गया, उससे ज्ञान हुआ कि यष्टि में अमुक किनारे पर गांठ है। फिर डिब्बे को भी गर्म पानी में डाला, लाक्षा पिघल जाने से डिब्बे का द्वार दिखाई दिया। राजा ने आचार्य से पूछा, "महाराज ! आप भी ऐसा कोई कौतुक करें, जिसे मैं वहां पर भेज सकू।" तब आचार्य ने तुम्बे का एक खण्ड सावधानी से हटा कर उसमें रत्न भर दिये तथा तुम्बे को बड़ी सावधानी से बन्द कर दिया और परराष्ट्र के पुरुषों से कहा-"इसे तोड़े बिना इसमें से रत्न निकाल लेना। परन्तु वे ऐसा न कर सके। यह पादलिप्ताचार्य की विनयजा बुद्धि का उदाहरण है।
१०. अगद-किसी नगर में एक राजा राज्य करता था। परन्तु उसके पास सेना बहुत थोड़ी थी। अत: उसके शत्रु राजा ने उसके राज्य को चारों ओर से घेर लिया। परचक्र से घिरने पर राजा ने कहा-"जिसके पास भी विष हो, वह ले आए, जिससे पानी में डाल कर शत्रुओं को नष्ट किया जा सके।"तब राजाज्ञा से पानी को विषमय बना दिया गया। उसी समय एक वैद्य जी परिमित विष लेकर आया और राजा को समर्पण कर कहा-"देव ! यह लीजिये विष लाया हूं।" राजा अल्पमात्रा में विष को देख कर वैद्य पर क्रुद्ध हुआ। वैद्य ने निवेदन किया-"महाराज ! यह सहस्रभेदी विष है, आप क्रोध न करें।" राजा ने पूछा-"यह कैसे हो सकता है ?" तब वैद्य ने राजा से प्रार्थना की-"देव ! कोई बूढ़ा हाथी लाइए।" हाथी आने पर वैद्य ने उसकी पूंछ का एक बाल उखाड़ा और उस स्थान पर विष का संचार किया। विष जहां-जहां लगता गया वही स्थान नष्ट होता गया। वैद्य ने राजा से पुनः कहा-"महाराज! यह हाथी विषमय हो गया है।" अतः जो भी इसको खायेगा, वह भी विषमय बन जायेगा। इसी लिए, इस विष को सहस्रवेधी कहा जाता है।" हाथी की हानि देख कर राजा बोला-"कोई उपाय है, जिससे यह फिर ठीक हो जाए।" वैद्य बोला-"हां देव ! उपाय है।" वैद्य ने पूंछ के उसी रन्ध्र में अन्य औषध का संचार किया और शीघ्र ही हाथी स्वस्थ हो गया। विष के प्रयोग में वैद्य की विनयजा बुद्धि का यह उदाहरण है।
११-१२. रथिक और गणिका-रथवान् और वेश्या के उदाहरण स्थूलभद्र के कथानक में आते हैं। वे दोनों उदाहरण वैनयिकी बुद्धि के हैं।
* 326*