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ने चिन्ह लगा दिया। फिर हाथी को उस नावा से निकाल कर उसमें इतने ही पत्थर डाले कि पूर्व चिन्हित स्थान तक नौका पानी में डूब गई। फिर वे पत्थर निकाले गये, उन्हें तोला गया.
और उस व्यक्ति ने राजा से निवेदन किया-"महाराज ! अमुक पल परिमाण हाथी का भार है।" राजा उसकी बुद्धि की विलक्षणता से बहुत प्रसन्न हुआ और उसे अपनी मन्त्रीपरिषत्. का मूर्धन्य अर्थात् प्रधान मन्त्री नियुक्त कर दिया। यह उस पुरुष की औत्पत्तिकी बुद्धि का उदाहरण है।
१०. घयण-भाण्ड-किसी राजा के दरबार में एक भाण्ड रहा करता था, राजा उससे प्रेम करता था, इस कारण वह राजा का मुंहलग बन गया था। राजा उस मुंहलग भाण्ड के समक्ष सदैव अपनी महारानी की प्रशंसा किया करता था। वह सदा रानी के गुणों का व्याख्यान करता कि "मेरी रानी बड़ी आज्ञाकारिणी है।" परन्तु भाण्ड राजा से कहता-"महाराज ! यह रानी स्वार्थवश ऐसा करती है। यदि आपको विश्वास न हो तो परीक्षा कर लीजिये?" __राजा ने भाण्ड के कथनानुसार एक दिन रानी से कहा-"देवी ! मेरी इच्छा है कि मैं अन्य शादी कराऊं और उसके गर्भ से जो पुत्र उत्पन्न हो, उसे राज्याभिषेक से सम्मानित करूं।" रानी ने उत्तर दिया-"महाराज। दूसरा विवाह आप भले ही कर सकते हैं, किन्तु राज्या- धिकारी परम्परागत पहला ही राजकुमार हो सकता है।" राजा भाण्ड की बात को ठीक जान कर रानी के समक्ष मुस्करा दिया। रानी ने मुस्कराने का कारण पूछा तो राजा और हंसा। रानी के आग्रह पर राजा ने भाण्ड की बात बता दी। रानी यह सुनकर बहुत क्रोधावेश में आ गई और राजा से भाण्ड को देश-परित्याग की आज्ञा दिलाई।
देश-परित्याग की आज्ञा सुनकर भाण्ड ने सोचा कि मेरी बात रानी को बता दी गई है। अतः इस प्रकार की आज्ञा रानी ने दी है। तत्पश्चात् भाण्ड में बहुत से जूतों का एक गट्ठड़ सिर पर उठाया और रानी जी के भवन में गया। जाकर पहरेदार से आज्ञा ली और दर्शनार्थ रानी के पास पहुंचा। रानी जी ने पूछा-"यह सिर पर क्या उठा रखा है?" उत्तर में भाण्ड बोला-"देवी जी ! मेरे सिर पर जूतों के जोड़े हैं, इनको पहन कर जिन-जिन देशों में जा सकूगा, वहां तक आप का अपयश फैलाऊंगा।" भाण्ड से अपने अपयश की बात सुन कर रानी ने देश-परित्याग के आदेश को वापिस ले लिया और भाण्ड पूर्ववत् ही आनन्द से रहने लगा। यह भाण्ड की औत्पत्तिकी बुद्धि का उदाहरण है।
११. खंभ-स्तम्भ-किसी राजा को अत्यन्त बुद्धिशाली मन्त्री की आवश्यकता थी। राजा ने इस उद्देश्य से एक बहुत विस्तीर्ण और गहरे तालाब में एक ऊंचा स्तम्भ गड़वा दिया और उसकी रक्षा-देखभाल के लिए राज्याधिकारी नियुक्त कर दिए। राजा ने घोषणा कराई"कि जो कोई भी किनारे पर खड़ा होकर इस स्तम्भ को रस्सी से बान्ध देगा। उसे महाराज एक लाख रुपया इनाम का देंगे।
यह घोषणा एक बुद्धिमान व्यक्ति ने सुन कर उपस्थित जनता के समक्ष तालाब के एक किनारे पर एक कील गाड़ दी और उसके साथ रस्सी का किनारा बांध कर तालाब के चारों
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