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४ मधुसिक्थ - मुद्रिका - अंका:-ज्ञानय - भिक्षु - चेटकनिधानानि।
शिक्षा च अर्थशास्त्रम्, इच्छा च महत्-शतसहस्रम् ॥ ७२ ॥ टीका-आगमों में तथा काव्य, नाटक, उपन्यास आदि ग्रन्थों में उन बुद्धिमानों का स्थान सर्वोपरि रहा है, जिन्होंने महत्त्वपूर्ण सूझ-बूझ सहित कही हुई बातों से या अद्भुत कृत्यों से या अलौकिक बुद्धि से जनता को चमत्कृत किया है। उनमें राजा, बादशाह, मंत्री, न्यायाधीश, महात्मा, महापुरुष, गुरु, शिष्य, किसान, धूर्त, विदूषक, दूत, विरक्त, संन्यासी, परिव्राजक, देव, दानव, कलाकार, गायक, हंसोड़, ऐसे बालक, नर एवं नारियों का वर्णन विशेष उल्लेखनीय है। इनका वर्णन इतिहास, कथानक, दृष्टान्त, उदाहरण और रूपक आदि के रूपों में मिलता है। यथा___1. इतिहास-जिसमें किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के जीवन की विशेष तथा अद्भुत घटनाओं . का वर्णन हो, वही इतिहास है। इसमें प्रायः सच्ची घटनाएं होती हैं। जिस भूमि में जन्म लिया, जहां शिक्षा प्राप्त की, जहाँ जीवन में प्रगति की, जहां शिक्षा-दीक्षा, प्रवचन, विजय, विकास, मरण आदि का तथा द्रव्य क्षेत्र और काल का स्पष्टोल्लेख पाया जाता है, उसे इतिहास कहते
____ 2. कथानक-जिसमें कहानी की मुख्यता हो। कहानियां दो प्रकार की होती हैं, 1. वास्तविक, 2. काल्पनिक, इनमें जो वास्तविक होती हैं, उनके पीछे जीवन उपयोगी शिक्षाएं होती हैं। जीवन के जिस-जिस वय में कोई विशेष घटनाएं हुईं, उनका वर्णन करना, फिर वे चाहे किसी भी शती में हुई हों, इसे जानने के लिए कोई आवश्यकता नहीं रहती। उसके शेष अवशेष आदि द्रव्य-क्षेत्र कहां हैं, इसे जानने की श्रोताओं में उत्कण्ठा नहीं रहती। जो काल्पनिक होती हैं, उनमें भी वास्तविकता की पुट दी होती है। वे भी अच्छाई और बुराई से परिपूर्ण होने के कारण श्रोताओं की मार्ग प्रदर्शिका होती हैं। ___ 3. दृष्टान्त-जिसमें किसी के जीवन की विशेष झलकियां तथा अनुभूतियां हों, वे दृष्टान्त कहे जाते हैं। इसका सम्बन्ध प्रायः अपरिचित देश-काल और व्यक्ति से होता है। वर्णन किए जा रहे किसी विषय को स्पष्ट करने के लिए दृष्टान्त का प्रयोग किया जाता है। दृष्टान्त में पशु-पक्षी, वृक्ष, जड़ पदार्थ आदि ये सब सम्मिलित हैं। दृष्टान्त छोटे भी होते हैं
और बड़े भी। ____4. उदाहरण-छोटे-छोटे उदाहरण तथा प्रत्युदाहरण विषय को स्पष्ट करने के लिए दिए जाते हैं। ‘स धर्मं करोति' यह कर्तृवाच्य का तथा तेन धर्मः क्रियते' यह कर्म वाच्य का
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