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________________ 3. एक समय में 4-4 सीझे हुए सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा न्यून। 4. इसी प्रकार 5-5 तक कहना। 5. छः छः से लेकर दस तक असंख्यात गुणा न्यून कहना। 6. 11-11 सिद्ध हुए अनन्त गुणा कम। इसी क्रम से एक-एक बढ़ाते हुए, उनसे अनन्त गुणा न्यून करते हुए 20 तक कहना। इस प्रकार सब स्थानों के चार भाग करके पहले भाग में संख्यात गुणा कम कहना, दूसरे भाग में असंख्यात गुणा कम, तीसरे और चौथे भाग में अनन्त गुणा कम कहना। जिस स्थान से एक समय में दस सिद्ध हो सकते हैं, उस स्थान की अपेक्षा से1. एक समय में एक-एक सिद्ध हुए, सब से अधिक। 2. एक समय में दो-दो सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा कम। 3. एक समय में तीन-तीन सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा कम। 4. एक समय में चार-चार सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा कम। 5. एक समय में पांच-पांच सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा कम। 6. इसी प्रकार छ:छः यावत् नौ-नौ सिद्ध हुए, अनन्त गुणा कम। 7. एक समय में दस-दस सिद्ध हुए सबसे न्यून। . ऊर्ध्वलोक में चार सिद्ध हो सकते हैं, वहां से1. एक समय में एक-एक सिद्ध हुए सबसे अधिक।। 2. दो-दो सिद्ध हुए, उनसे असंख्यात गुणा कम। 3. तीन-तीन तथा चार-चार सिद्ध हुए, उनसे अनन्त गुणा कम। समुद्र में एक समय में दो सिद्ध हो सकते हैं, वहां से- . 1. एक-एक सिद्ध हुए, सबसे अधिक। . 2. दो-दो सिद्ध हुए, अनन्त गुणा। इसी प्रकार अन्य-अन्य स्थानों के विषय में भी समझ लेना चाहिए। यह परंपर सिद्ध केवल ज्ञान का थोकड़ा समाप्त हुआ। अनन्तरसिद्ध-केवलज्ञान मूलम्-से किंतं अणंतरसिद्ध-केवलनाणं? अणंतरसिद्ध-केवलनाणं, पण्णरसविहं पण्णत्तं, तं जहा - *270* -
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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