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8. उन के तीर्थ में साधु सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा । ६. लिंगद्वार
1: गृहलिंग सिद्ध, सब से थोड़े ।
2. अन्यलिंग से सिद्ध हुए, उन से असंख्यात गुणा ।
3. स्वलिंग से सिद्ध हुए, उन से असंख्यात गुणा । ७. चारित्रद्वार
1. वे सिद्ध सब से थोड़े हैं, जिन्होंने क्रमश: पांच चारित्रों की आराधना की है।
2. जिन्होंने परिहार विशुद्धि चारित्र के अतिरिक्त चार चारित्रों की क्रमशः आराधना की है, वे सिद्ध उनसे संख्यात गुणा ।
3. जिन्होंने सामायिक, सूक्ष्मसंपराय और यथाख्यात चारित्र की आराधना की है, वे सिद्ध उन से संख्यात गुणा ।
८. बुद्धद्वार
1. स्वयंबुद्ध सिद्ध, सब से थोड़े ।
2. प्रत्येकबुद्ध सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा ।
3. बुद्धबोधित सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा ।
९. ज्ञानद्वार
1. जिन्होंने केवलज्ञान से पहले मति, श्रुत और मनः पर्यव ये तीन ज्ञान प्राप्त किए हैं, वे सिद्ध सबसे थोड़े।
2. जिन्होंने मति और श्रुत ज्ञान के पश्चात् केवलज्ञान प्राप्त किया है, वे सिद्ध उनसे संख्यात गुणा ।
3. जिन्होंने केवलज्ञान होने से पहले मति - श्रुत अवधि और मनः पर्यव ये चार ज्ञान प्राप्त किए, वे सिद्ध उनसे संख्यात गुणा ।
4. जिन्होंने छद्मस्थकाल में मति - श्रुत-अवधि ये तीन ज्ञान प्राप्त किए, वे सिद्ध उनसे संख्यात गुणा ।
उक्तं च- “मणपज्जवनाण तिगे, दुगे चउक्के मणस्स नाणस्स । थोवा संख असंखा, ओहितिगे हुन्ति संखेज्जा ॥"
१०. अवगाहनाद्वार
1. दो हाथ प्रमाण अवगाहना से सिद्ध हुए, सबसे थोड़े ।
2. पांच सौ धनुष की अवगाहना से सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा ।
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