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________________ 16. तिर्यंच से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 17. अनुत्तरोपपातिक देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 18. ग्रैवेयक देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 19. अच्युत देवलोकवासी देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 20. आरण देवलोकवासी देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। इसी पच्छानुपूर्वी से सनत्कुमार तक देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 21. ईशान देवियों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 22. सौधर्म देवियों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 23. ईशान देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 24. सौधर्म देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। उक्तंच- "नरग चउत्था पुढवी, तच्चा-दोच्चा तरु पुढवि-आउ । भवणवई देवि-देवा, एवं वण-जोइसाणंपि ॥" मणुई मणुस्स नारय पढमा, तह तिरिक्खिणी य तिरिया य।.. देवा अणुत्तराई, सव्वे वि . सणंकुमारंता ॥ ईसाणदेवि सोहम्मदेवि, ईसाणदेव सोहम्मा । सव्वे वि जहा कमसो, अणंतरायाउ संखगुणा ॥ ४. वेदद्वार 1. नपुंसक वेद से अवेदी सिद्ध, सबसे थोड़े। 2. स्त्रीवेद से अवेदी हुए सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। . 3. पुरुष वेद से अवेदी हुए सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। ५. तीर्थद्वार 1. स्त्री-तीर्थंकर सिद्ध हुए, सबसे थोड़े। 2. उन्हीं के तीर्थ में प्रत्येक बुद्ध सिद्ध हुए, संख्यात गुणा। 3. उन्हीं के तीर्थ में साध्वी सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा। 4. उन्हीं के तीर्थ में साधु सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा। 5. पुरुष तीर्थंकर सिद्ध हुए, उनसे अनन्त गुणा। 6. उन्हीं के तीर्थ में प्रत्येक बुद्ध सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा। 7. उन्हीं के तीर्थ में साध्वी सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा। * 266 * -
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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