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________________ 6. देवियों से अनन्तरागत सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । 7. देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । उक्तं च- "मणुई मणुया नारय, तिरिक्खिणी तह तिरिक्ख देवीओ । देवा य जह कमसो, संखेज्जगुणा मुणेयव्वा ॥ " 1. एकेन्द्रियों से अनन्तरागत सिद्ध सब से थोड़े । 2. पंचेन्द्रियों से अनन्तरागत सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । 1. वनस्पति से अनन्तरागत सिद्ध, सबसे थोड़े । 2. पृथ्वीकाय से अनन्तरागत सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । 3. अप्काय से अनन्तरागत सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । 4. त्रसकाय से अनन्तरागत सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । उक्तं च- "एगिंदिएहिं थोवा सिद्धा, पंचिदिएहिं संखा गुणा । तरु-पुढवि-आउ तसकाइएहिं, संखा गुणा कमसो ॥" 1. चौथी पृथ्वी से अनन्तरागत सिद्ध, सब से थोड़े । 2. तीसरी पृथ्वी से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 3. दूसरी पृथ्वी से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा। 4. बादर पर्याप्तक पृथ्वीकाय से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 5. बादर पर्याप्तक अप्काय से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 6. भवनपति देवियों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 7. भवनपति देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 8. व्यन्तरियों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 9. व्यन्तर देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 10. ज्योतिष्क देवियों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 11. ज्योतिष्क देवों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 12. मानुषियों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 13. मनुष्यों से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 14. पहली पृथ्वी से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । 15. तिर्यंची से अनन्तरागत सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । * 265
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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