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________________ आरक तथा सम्यक्त्वरूप चक्र का उपरि भाग परिकर है, इस प्रकार का चक्र अन्य दर्शनों में नहीं पाया जाता है। जिस चक्र के असाधारण अंग संयम, तप और सम्यक्त्व हों, वह तो स्वतः ही अप्रतिम होता है। सम्मत्त-शब्द से सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान का ग्रहण किया गया है। संयम और तप से सम्यक्-चारित्र का ग्रहण होता है। श्रीसंघचक्र इस प्रकार रत्नत्रय से निर्मित होने के कारण विश्ववन्द्य और जयशील है। यह संघचक्र आत्मा का मोक्ष-मार्ग प्रदर्शक है, त्रिलोकीनाथ बनाने वाला है और अज्ञान, अविद्या, मिथ्यात्व तथा मोह इन सबका सदा के लिए विनाश करने वाला है। चक्र इव संघ इति संघचक्रः-जो संघ चक्र के तुल्य हो, उसे संघचक्र कहते हैं। इसे भावचक्र भी कहते हैं। जिन्होंने कर्मों पर विजय प्राप्त की है, वह इसी चक्र से ही की . संघरथ-स्तुति मूलम्- भंई सीलपडागूसियस्स, तवनियमतुरयजुत्तस्स । संघरहस्स भगवओ, सज्झायसुनंदिघोसस्स ॥ ६ ॥ : छाया- भद्रं शीलपतांकोच्छ्रितस्य, तपनियमतुरगयुक्तस्य । . संघरथस्य भगवतः, स्वाध्याय सुनन्दिघोषस्य ॥ ६ ॥ पदार्थ-सील-पडागूसियस्स-अट्ठारह हजार शीलांगरूप पताकाएं जिस पर फहरा रही हैं, तवनियम-तुरयजुत्तस्स-तप और नियम-संयम जिसमें घोड़े जुते हुए हैं, सज्झायसुनंदिघोसस्स-तथा वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्मकथा पांच प्रकार का स्वाध्याय ही जिसका श्रुतिसुख मंगलघोष है, इस प्रकार के संघरथ भगवान् का, भदंभद्र-कल्याण हो। भावार्थ-अट्ठारह हजार शीलांग रूप पताकाएं जिस पर फहरा रही हैं, जिसमें संयम-तपस्वप सुन्दर अश्व जुते हुए हैं, जिसमें से पांच प्रकार के स्वाध्याय का मंगलघोष मधुरघोष (ध्वनि) निकल रहा है। इस प्रकार के संघरथ रूप भगवान् का कल्याण हो। यहां संघ को मार्गगामी होने के कारण रथ की उपमा से उपमित किया है। जो संघ सुसज्जित रथ की तरह मार्गगामी हो, उसे संघरथ कहते हैं। टीका-इस गाथा में श्रीसंघ को रथ से उपमित किया गया है। जैसे एक सर्वोत्तम रथ है, उसमें उत्तम जाति के घोड़े जोते हुए हैं। वैसे ही संघरथ सर्वोत्तम रथ है, जिसमें तप और नियम के घोड़े जोते हुए हैं। जिस के शिखर पर अष्टादश सहस्र शीलांग ध्वजा और पताकाएं - *125*
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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