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55. कर्मजा बुद्धि का लक्षण
329 84. श्री ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र 457 56. कर्मजा बुद्धि के उदाहरण
85. श्री उपासकदशांग सूत्र 57. पारिणामिकी बुद्धि के लक्षण
86. श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र
462 58. पारिणामिकी बुद्धि के उदाहरण
श्री अनुत्तरौपपातिकदशा सूत्र 464 59. श्रुतनिश्रित-मतिज्ञान
355 88. श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
467 60. अवग्रह
357 89. श्री विपाकसूत्र
470 61. ईहा
| 90. श्री दृष्टिवाद सूत्र 62. अवाय
परिकर्म
475 63. धारणा 367 92. सिद्ध श्रेणिका परिकर्म
476 64. अवग्रहादि का काल परिणाम . 368 93. मनुष्यश्रेणिका परिकर्म
477 65. प्रतिबोधक के दृष्टान्त से व्यंजनावग्रह 369 | 94.. पृष्टश्रेणिका परिकर्म
478 66. मल्लक के दृष्टान्त से व्यंजनावग्रह 372 | 95. अवगाढ़श्रेणिका परिकर्म
479 67. अवग्रह आदि के छह उदाहरण 375 | 96. उपसम्पादनश्रेणिका परिकर्म 479 68. पुनः द्रव्यादि से मतिज्ञान का स्वरूप 384 / 97. विप्रजहत्श्रेणिका परिकर्म 480 69. आभिनिबोधिक ज्ञान का उपसंहार 385 / 98. च्युताऽच्युतश्रेणिका परिकर्म 481 70. श्रुतज्ञान । 391 | 99. सूत्र
482 71. अक्षरश्रुत
100. पूर्व 72. अनक्षरश्रुत 393 101. अनुयोग
490 73. संज्ञि-असंज्ञिश्रुत
102. चूलिका
494 74: श्रुत . 402 | 103. दृष्टिवादांग का उपसंहार
495 75 मिथ्याश्रुत
407 | 104. द्वादशांग में संक्षिप्त अभिधेय 496 76. सादि-सान्त-अनादि-अनन्त श्रुत 414 | 105. द्वादशांग-विराधना-फल
498 77. गमिक-अगमिक-अंगप्रविष्ट-अंगबाहिर 422 | 106. द्वादशांग-आराधना का फल 500 78. अंगप्रविष्ट श्रुत
107. द्वादशांग गणिपिटक का स्थायित्व 501 79. द्वादशांगों का विवरण-श्री आचारांग सूत्र 432 108. श्रुतज्ञान और नन्दीसूत्र का उपसंहार 504 80. श्री सूत्रकृतांग
441 109. परिशिष्ट-(1) 81. श्री स्थानांग सूत्र
449 110. परिशिष्ट-(2). 82. श्री समवायांग सूत्र
452 | 111. परिशिष्ट-(3) 83. श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र
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