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यहां पर ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप को, संयम और तप इन दो में अन्तर्भाव करके वर्णन किया गया है। संयम के सत्रह भेद हैं और तप के बारह, इनके द्वारा अर्थात् इनका अनुष्ठान करने से सर्व प्रकार के कर्मों का क्षय हो जाता है।
इसके अतिरिक्त 'त्ति बेमि' का अर्थ पूर्ववत् जान लेना चाहिए।
.. अष्टाविंशमध्ययनं संपूर्णम्
उत्तराध्ययन सूत्रम् - तृतीय भाग [ ९८] मोक्खमग्गगई अट्ठावीसइमं अन्झयणं