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शब्दार्थ-कोषः ]
हिन्दीभाषाटीकासहितम् ।
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संबुद्धा-तत्त्ववेत्ता ८६०, ६६५ | समाहियं समाहित, बंधे हुए को! अतः संबुद्धो संबुद्ध हुआ
१०४६ संबुद्धय्या-संबुद्ध आत्मा
__EE | समाहिए-समाहित-चित्त-समाधि सब्भूय सद्भूत . १०२६ वाला
६६८ सम्वभूएसु-सर्व जीवों में ८५४ समाहिओ-समाहित चित्त सन्भिन्तर-आभ्यन्तर और | समाहिठाणा-समाधि-स्थान ६६५, ६६३ समइक्कमंता-सम्यक् प्रकार से जाते हैं ६२२ समाहिबहुले समाधि बहुल ६६३, ६६४ समचउरंसो-समचतुरस्र संस्थान और
६५६ | समाहिठाणे-समाधि स्थान समत्था समर्थ हैं ११०५, ११०६, १११२ समिई समिति
१०७१ ११३३, ११३६ समिए समिति वाला होवे
१०८४ समण श्रमण
७७४ समिईओ समितियाँ १०७१, १०७३, १०८६ समणत्तणं-संयम का पालन ८०६,८०७॥
१०६५ समणा साधु
६०० | समिक्खए-सम्यक् प्रकार से देखती समणे-श्रमण . ६६८, १००४
१०२० समणोश्रमण - ११२६, ११३० समिद्धे ऋद्धि से पूर्ण... ५८० समया-समता ..
७६३
समिश्च जान करके ६५८, ६४० समयाए-समभाव से . ११३०
समिला लोहे की कीली वाले जुए में ८२१ सम-साथ
समुक्करिसो सम्यक् उत्कर्ष १०६६ समंसाई-स्वमांस-मेरे शरीर का मांस ८३३
| समुच्छिया व्याप्त हो गई ६७५ समाउले व्याप्त-आकीर्ण १०००, १०१०
| संमुच्छई उत्पन्न हो जाता है ६०१ १००३
| समुद्धत्तुं-उद्धार करने को ११०५, १११२ समाउत्ता-समायुक्त
... ११३३ समागमे परस्पर मिलने में १००६, १०६६
११३३, ११०६ समागम्म-जानकर समागया इकट्ठे होगये १०१४ | समुद्दपालि-समुद्रपाल
१२८ समागमो-समागम
१०१६ समुद्दपाले-समुद्रपाल मुनि समायरामो प्रहण करेंगे ६०६ समुद्दपालो-समुद्रपाल ६३२ समारम्मे-समारम्भ १०६१, १०६३, १०६४ | समुद्देव-समुद्र की तरह समारूढो-आरूढ़ हुआ, ६७० | समुदाय सम्यक् निश्चय कर ११३४ समावन्नो प्राप्त हुआ ७३५ | समुहविजयंगओ समुद्रविजय के समासेण-संक्षेप से १०७३, १०८६ अंग से उत्पन्न होने वाला ८२ समाहि-समाधि के
६६४ | समुट्टिओ-संयम में सावधान हुआ ८४७ समाहि-समाधि को. ६१४:। समुप्पजेजा उत्पन्न होवे .. ६६७,६७१
१०२७ | समुइंमि-समुद्र में
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