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आयगुणिंधणेणं=आत्म-गुणेन्धन से ५६१ श्रागुत्ते= आत्मगुप्त होकर आयरक्खिए- आत्मरक्षक आयरिया=आचार्य हैं। आयरिय=आचार्य के आयरियाह=आचार्य कहते हैं
६७०, ६७२, ६७५, ६७८,
आयरियउवज्झाएहिं=आचार्य
उपाध्याय के द्वारा
आयरे = आचरण करे आयहिए=आत्म हितैषी आयंका = आतंक घातक रोग आयंको = रोग आयाण= आदान आयामगं=अवश्रावण 'आयार = आचार और
में
'आराहए = आराधन कर लेता है आरियं =आर्य
आरण्णगा=अरण्यवासी
है वह आलए =स्थान में
उत्तराध्ययनसूत्रम्
आलयं = स्थान- उपाश्रय का आलओ = स्थान
६४३, ६४४ | आलोयणे = गवाक्ष में ६४२ आवाए = आता है ७३६, ८८३ | आवाडिया - गिरे हुए ७०६, ७१६ | आवायम्=आता है ६६७, ६६६, आवेउं = पीने की ६८०, ६८१, ६८३, ६८५
और
१९३६
१०८६
हष्ट
७६५
७४५, ६२५, ६५४, १००२,
१०६६, १०६६ ७०६ | आसियाणि= एक आसन पर बैठना ६६०, ६६५. १०६७ आसी = था ८६८, ८८०, ६५२, ६५५, ६६८, १०१६ ६४६
६४२ | आसवंदारजीवी - आश्रय द्वारों से जीवन व्यतीत करने वाला
८४३
आरम्भे=आरम्भ में १०६१, १०६३, १०६४ आरसंतो= आक्रंदन करते हुए ८१६, ८३२ आरूढो = उस पर चढ़े हुए ६६०, १०४५, १०५६ आरूहई= आरोहण करता है- बैठता
[ शब्दार्थ- कोषः
लोकन और ध्यान करते हुए ६७३
७७३
१०८६
६०० आसे = अश्व ६५६ | आसं=घोड़े को
६१६, १००६ | आसगओ=घोड़े पर चढ़ा हुआ ७२१ | आसण=आसन
|७४२ | आसणं=आसन
५६०
७०८ ७८३
आइस्स = आदि पदार्थ भी आसि=था
आलम्बणं = आलम्बन
आलम्बणेण = आलम्बन से आलोइत्ता - आलोकन करने वाला आलोपज्जा = आलोकन करे आलोएह-देखता है। आलोएमाणस्स निज्झायमाणस्स=अव
आसणम्मि=आसन में
आह = कहने लगा श्राहओ = अभिहनन किया आहसु = कहने लगा
आहार = आहार आहारं = आहार
आहरित्ता = करने वाला
६०७
१०४७
७२७
७२६
६५३
६४५
७१३
६५८
७२६
८६१
६५४, १०८०
६८०, १०८५
६८०
८४४
७१४, ७१५
६८०,६८१
६८१
६८०, ६८१
१०७१
६४३
१०५८
६८७ | आहरितु=लाकर
६६४ | आहारेइ = आहार करता है। १०७५ |आहारेजा = करे १०७४ आहारेत्ता = करने वाला ६७२ | आहारेमाणस्स = करते हुए ६७३ | आहिआ = कही गई हैं। ७७३ आहियासिए - सहन करता है।
आहु= तीर्थंकर देव कहते हैं