SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 582
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ-कोषः ] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । - ६४६ ११२२ 8१० अन्नया अन्यथा ६३१ । आइग्नं आकीर्ण अन्नाणं-अज्ञानवादी ७४० | आईहिं-आदि से ८३१ अनायएसी-अज्ञातकुल की भिक्षा करने आउं-आयु को ७४५ वाला ६४१ | आउत्तया आयुक्तता यतना १०० अन्नावि=और भी ८८ आउत्तेण-उपयोग के साथ ७६४ अन्निओ-युक्त ७५८ आउरे-आतुर अवस्थाएँ अन्ने अन्य ६२८, ७३४ | आउसं हे आयुष्मान् अनोवि और भी . १०२५ | आउसु-हे आयुष्मान् ७०४ अप्प स्तोक ६६० | आगए आ गया ७२५, ७४५, ६२६, ६२६, अप्पं-स्तोक-थोड़ा १०००, १००३ अप्पकम्मे अल्प कर्म वाला ८६ आगओ-आ गया हूँ ७७६, ६३३, १०१० अप्पडियूयए-उनकी पूजा नहीं करता ७०६ आगच्छउ-आवे . ६५८ अप्पणा-आत्मा से ८७५ आगच्छद-प्राप्त होता है १०४ अप्पणावि-आत्मा से . ८७५ आगन्तु-स्वजनादि के आगमन पर १११८ अप्पणिया-अपनी आगम्म-आकर ५८३, ७२६ अप्पणो आत्मा की ६३३,७४५, ८६५, ६३७ आगयं-आते हुए १०११ अप्पमत्ते-अप्रमत्त होकर ६६३, ६६४, ६६५ आगासे-आकाश में ८०३ अप्पमजिय=विना प्रमार्जन किए जो ७०८ आणा-आज्ञा अप्पमत्तेणं-अप्रमाद से ७६४ आणेइ-लाकर दी ६३० अप्पयं आत्मा को ७४४,८५६ आत्मानो नहीं है अप्पवइएण-गृहस्थावास में ६५२ आदाउं-प्रहण करने की ६२४ अप्पसत्थेहि-अप्रशस्त ८५८ आदाणे-आदान १०७२ अप्पा-आत्मा ८६६, ८६७ आदाय-ग्रहण करके ৩৪৫ अप्पाणं-आत्मा को ७६०,७६१, ६०२,६८५, आपुच्छ पूछ कर ६३३ ६६३, ११०५, ११०६,१११२, ११३३, आपुच्छित्ता=पूछ कर ८६४ ११३६ आभरणाणि-भूषणों को ६६८ अप्फोवमण्डवम्मि-द्राक्षा आदि लताओं आभरणेहि-आभरणों से ६५६ - के कुञ्ज में __७२५ आमट्ठ-आमृष्ट १११६ अप्फुण्णे परिपूर्ण हो गया २६ आमन्तयामो आपको पूछते हैं ५८७ अव्वक्खित्तेण-अव्याक्षिप्त ७६५, ८७६ आमिसं-मांस को ६३२ अव्वग्गमणे-व्यप्र मन से रहित ६४३, ६४५ आमोयमाणा-आनन्दित होते हुए ६३० आयगवेसए आत्मा की गवेषणा करने आइए-ग्रहण करे १०८४ | . वाला ६४६ ८७७ आ
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy