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उत्तराध्ययनसूत्रम्
शब्दार्थ
भ-और-पुन: ८००, ८२३, ८२७, ८२८, । अकिंचणं= अकिंचन वृत्ति वाला ८५४,८५६, ८७६, ६५५, ६८१ अकिरियं = अक्रिया को
८१८ |
अकुक्कुओ = तो भी कुत्सित शब्द न
६७४
अइ-अति अइगया = वापस चले आये
अइच्छन्तं=चलते हुए
अइदुस्सहा=अतिदुस्सह अहमत्तं=प्रमाण से अधिक अइमायाए = अतिमात्रा से
अमायं = प्रमाण से अधिक अइयाओ = चला गया
करता हुआ ७७४ अंकुसे अंकुश से
८३७ अक्कोसवहं = आक्रोश वध को
अक्कोसा = आक्रोश गाली आदि
=
६६२ ६८१, ६२३
६६५
६२३
८८१
अउला = अतुल-उपमा रहित अउलो =अतुल अकम्पमाणे=अकम्पायमान होता हुआ ६४४
८६८
७८८
अकाऊण=न करके अकामकामे = काम भोगों की कामना न
करने वाला अर्थात् मुक्ति की कामना करने वाला अकासि = करते हुए अकिचं - अकरणीय है। अचिणा द्रव्य से रहित
अगणी= अग्नि
अगिहे = घर से रहित
अगंधणे = अगंधन
अंगवियारं = अंग विचार - विद्या
११२५
७४६, ७४०
अंग = मस्तक आदि अंग अचयन्तो = श्रसमर्थ होकर अचित्तं = चेतना रहित अचिरकालकयम्मि= श्रचिर काल के चित हुए स्थान में ६४१ अचिरेणेव = थोड़े ही ६०६ | अचेलगो = अचेलक
५६८ अजसोकामी = हे यश की कामना करने वाले ६४६ | अजाणगा = तत्त्व से अनभिज्ञ
६२७
४३
६६२
६४३
ဖင်
८१३
६६०
६८७
६४८
६८६
१११०
११२२
१०८७
६३७
१००८, १०२६
==
१११६