SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विंशतितमाध्ययनम् ] हिन्दी भाषाटीका सहितम् । पुल्लेवं मुष्टिर्यथा अयन्त्रितः इव । राढामणिर्वैडूर्यप्रकाशः अमहार्घको भवति खलु ज्ञेषु ॥४२॥ असारः, स कूटकार्षापण [ १०३ पदार्थान्षय: – पुल्ल-पोली मुट्ठी - मुट्ठी जह-जैसे एव - निश्चय ही असारेअसार है से- वह मुनि तथा अयन्तिए - अनियमित कूड-खोटे कहावणे - कार्षापण वा की तरह राढामणी- काच की मणि जैसे वेरुलिय- वैडूर्यमणि की तरह पगासेप्रकाशित होती है अमहग्घर - अल्प मूल्य वाला होइ - हो जाता है हु-निश्चय ही जाणएसु - विज्ञ पुरुषों में । मूलार्थ - जैसे पोली मुट्ठी असार होती है और खोटी मोहर में भी कोई सार नहीं होता, इसी प्रकार वह द्रव्यलिंगी मुनि भी असार है । तथा जैसे काच की मणि वैडूर्यमणि की तरह प्रकाश तो करती है परन्तु विज्ञ पुरुषों के सम्मुख उसकी कुछ कीमत नहीं होती, इसी प्रकार बाह्यलिंग से मुनियों की भाँति प्रतीत होने पर भी वह द्रव्यलिंगी मुनि बुद्धिमान् पुरुषों के समक्ष तो कुछ भी मूल्य नहीं रखता । टीका - इस गाथा में केवल द्रव्यसाधु - जिसको साध्वाभास कहते हैं— के स्वरूप का दिग्दर्शन कराया गया है । उक्त मुनिराज महाराजा श्रेणिक से कहते हैं कि जिस प्रकार खाली बाँधी हुई मुट्ठी असार होती है, उसी प्रकार जिस मुनि के द्रव्यवेष के सिवा और कुछ नहीं, अर्थात् आत्मशुद्धि नहीं या साधुजनोचित्त कोई गुण नहीं, वह भी उस मुट्ठी की तरह असार है अर्थात् संयमधन से खाली होने, के कारण बिलकुल कंगाल है । तथा जैसे कूटकार्षापण — खोटी मोहर — व्यापारियों के व्यवहार में नहीं आ सकती अर्थात् उसको कोई नहीं लेता, तद्वत् द्रव्यलिंगी मुनि भी धर्मप्रचार के लिए उपयोग में नहीं आ सकता । इसके अतिरिक्त जैसे काच की मणि वैडूर्यमणि की तरह प्रकाश करती है, तद्वत वह द्रव्यमुनि भी मुनियों की भाँति दिखाई देता है परन्तु जैसे वह काच की मणि मणियों का ज्ञान रखने १ 'सुषिरेव' इत्यपि छाया भवति ।
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy