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________________ एकोनविंशाध्ययनम् ] हिन्दी भाषाटीकासहितम् । [ ८२१ वर्ण वालों से भल्लीहिं-भल्लियों से य-और पट्टिसेहि-शस्त्रों से छिन्नो—छेदन किया भिन्नो-भेदन किया — विदारण किया विभिन्नो - सूक्ष्मखंड रूप किया उववन्नो- उत्पन्न हुआ— नरक में पावकम् - पापकर्म से 1 मूलार्थ - पापकर्म के प्रभाव से नरक में उत्पन्न होने पर मुझे अतसी पुष्प के समान वर्ण वाले खड्डों से, भल्लियों से और पट्टिशों ( शस्त्रविशेष ) से छेदन किया, विदारण किया और सूक्ष्मखंड रूप किया गया । टीका - मृगापुत्र ने कहा कि हे पितरो ! जब मैं पूर्वकृत पापकर्मों के प्रभाव से नरक में उत्पन्न हुआं तो वहाँ पर यमदूतों द्वारा अतसीपुष्प के समान चमकते हुए खड्ग और त्रिशूल आदि शस्त्रों से मैं छेदा गया, और भेदा गया अर्थात् मेरे शरीर के दो टुकड़े किये गये, मेरे शरीर को विदारण किया गया, तथा मेरे शरीर के अनेकानेक टुकड़े किये गये । यदि कोई शंका करे कि शरीर का इस प्रकार से छेदन, भेदन और सूक्ष्मखंड रूप करं देने से वह नारकी जीव, जीवित कैसे रह सकता है ? तो इसका समाधान यह है कि नारकी जीव का वैक्रिय शरीर होता है, जो कि सूक्ष्म खंड २ करने पर भी पारदकणों के समान फिर मिल जाता है । अब नरकसम्बन्धी अन्य यातनाओं का वर्णन करते हुए उक्त विषय का फिर समर्थन करते हैं अवसो लोहरहे जुत्तो, जलंते समिलाजुए । चोइओ तुत्तजुत्तेहिं, रोज्झो वा जह पाडिओ ॥५७॥ समिलायुते । अवशो लोहरथे युक्तः, ज्वलति नोदितस्तोत्रयोक्त्रैः गवयो वा यथा पातितः ॥५७॥ " पदार्थान्वयः— अवसो– परवश हुआ लोहरहे - लोहे के रथ में जुत्तो - जोड़ा हुआ जलते - जाज्वल्यमान समिला - लोहे की कीली वाले जुए में जुए जोड़ दिया चो - प्रेरित किया तुत्त-तोत्रों से जुत्तेहिं धर्ममय योक्त्र गले में बाँधकर - प्राणियों से जह-जैसे रोज्झो- - गवय पाडियो - मारकर भूमि पर गिराया जाता है वा - तद्वत् ।
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
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