SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ त्ति बेमि | इति चाउरंगिज्जं नाम तइअं अज्झयणं समत्तं ॥ ३ ॥ चतुरंगी दुर्लभां ज्ञात्वा, संयमं प्रतिपद्य । तपसा धुतकर्मांशः, सिद्धो भवति शाश्वतः ॥ २०॥. इति ब्रवीमि | - इति चतुरङ्गीय नाम तृतीयमध्ययनं समाप्तम् ॥ ३ ॥ पदार्थान्वयः–चउरंगं—चारों अंगों को, दुल्लहं—दुर्लभ, नच्चा—जानकर, संजमं–संयम को, पडिवज्जिया—ग्रहण करके, तवसा तप के द्वारा, धुयकम्मंसे कर्मों के अंश को दूर करने वाला, सिद्धे–सिद्ध, सासए-शाश्वत, हवइ—होता है, त्ति—इस प्रकार, बेमि–मैं कहता हूं। मूलार्थ—चारों अंगों को दुर्लभ समझकर संयम को ग्रहण करके तप के द्वारा जिसने कर्मों के अवशिष्ट अंश को दूर कर दिया है, वह कर्म-रहित जीव शाश्वत सिद्ध गति को प्राप्त हो जाता है। सूत्रकार कहते हैं कि 'मैं इस प्रकार कहता हूं।' टीका—ऊपर जिन चारों अंगों का वर्णन किया गया है उनकी प्राप्ति को दुर्लभ जानकर जिस जीव ने संयम को ग्रहण करके तपोऽनुष्ठान के द्वारा कर्मांशों को अपनी आत्मा से सदा के लिए पृथक् कर दिया है वह साधक जीव शाश्वत सिद्ध-गति अर्थात् मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। इसलिए मनुष्यत्व, श्रुति, श्रद्धा, वीर्य अर्थात् पुरुषार्थ इन चारों अंगों को दुर्लभ समझकर जो प्राणी इनका निरन्तर सदुपयोग करता है वह एक-न-एक दिन मोक्ष-मन्दिर के दिव्य सिंहासन की शोभा को अवश्य बढ़ाता है और उससे उतरती हुई स्वर्ग-प्राप्ति तो उसके हस्तगत ही होती है। यहां पर सिद्ध के साथ जो शाश्वत विशेषण लगाया गया है उसका तात्पर्य यह है कि जैन शास्त्रों में एक जीव की अपेक्षा से सिद्धगति को सादि-अनन्त स्वीकार किया गया है, इसलिए सिद्ध-पद के साथ शाश्वत विशेषण का देना जरूरी है। _ 'त्ति बेमि' इस शब्द का तात्पर्य पूर्व के अध्ययनों में बता ही दिया गया है। अब बार-बार उसका उल्लेख करना कोई विशेष प्रयोजन नहीं रखता। चतुरंगीय अध्ययन संपूर्ण श्री उत्तराध्ययन सूत्रम् / 178 / तइ चाउरंगिज्ज अज्झयणं
SR No.002202
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year2003
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy