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. नया चिन्तन]
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है। हमने तो चिन्तन किया, खोज की, अनुसंधान किया, प्रमाण ढूंढे और आगम के इतने प्रमाण उपलब्ध किए, जिनके आधार पर यह स्थापना करने में हमें कोई संकोच नहीं हुआ। यह कोई संशय में नहीं किया गया कि अग्नि अचित्त है या नहीं? अनुसंधान के आधार पर अच्छी तरह निश्चित हो गया कि यह मात्र पुद्गल है, ऊर्जा है, एक शक्ति है, अग्निकायिक जीव नहीं है। अब अपनी-अपनी परम्परा होती है। कुछ लोग ध्यान नहीं देते तो क्या कहा जाए? हाथ में घड़ी बंधी है तो कहते हैं कि सजीव है। घड़ी में बैट्री है क्या? ऊर्जा का एक स्पन्दन ही तो है। जगनं चमकता है तो आग जैसा लगता है, किन्तु वह आग तो नहीं है। औरों की बात छोड़ दें, हमारे शरीर में भी पौद्गलिक अग्नि है। आयुर्वेद को जानने वाला जठराग्नि को जानता है। भोजन करते हैं, वह किससे पचता है? जठराग्नि से पचता है। हमारे जठर यानी पेट की जो अग्नि है, उससे हमारा भोजन पचता है। जब कोई बीमार होता है तो वैद्य उसकी परीक्षा कर कभी-कभी कहते हैं - इसकी अग्नि मंद हो गई है खाया हुआ पच नहीं रहा है। अग्नि जब तक ठीक रहे, भोजन का ठीक पाचन होता है, वह मंद हो जाए तो भोजन का पाचन नहीं हो पाता। हमारे शरीर में भी अग्नि है, विद्युत् है। शरीरशास्त्र की दृष्टि से देखें तो हर कोशिका का अपना पावर हाऊस हैं। अरबों कोशिकाएँ है और हर कोशिका का अपना पावर हाऊस है। इतनी अग्नि भरी पड़ी है शरीर के भीतर | यह बड़ी अद्भुत बात है कि शरीर की अग्नि कभी लीक नहीं होती। यदि हो जाए तो पूरे
शरीर में जलन हो जाती है। शरीर अंगारा जैसा हो जाता है। ऐसे कई केस • (Case) प्रेक्षाध्यान शिविरों में आए कि शरीर पूरा जलने लग गया। . . हमारे शरीर में भी अग्नि है। यह सब तैजस वर्गणा के परमाणु हैं, पुद्गल है। अब प्रश्न है कि चाहे माइक हो, चाहे घड़ी हो, हम उसे सचित्त नहीं मान सकते । आगम के आधार पर उसे सजीव नही सिद्ध किया जा सकता। इसलिए पूरी स्पष्टता रहे। बहुत से भाई आते हैं और कहते हैं कि घड़ी बँधी हुई है, संघट्टा करें या न करें? घड़ी हाथ में बंधी हुई है, आहारपानी बहराएँ या न बहराएँ? नहीं बहराओ तो आपकी इच्छा । हमें कोई आपत्ति नहीं है। वंदना करने में स्पर्श करो या नहीं, आपकी इच्छा। हमें कोई सैद्धान्तिक आपत्ति नहीं है, क्योंकि उसे हम सजीव नहीं, मात्र ऊर्जा मानते
अभी-अभी एक प्रश्न आया कि विद्युत् सचित्त नहीं है तो क्या एक साधु स्विच को चालू कर सकता है या बन्द कर सकता है? यह व्यवहार की