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आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व ]
. आदिवासी अंचल में जीवन विज्ञान के प्रयोग शुरू हुए हैं। उस प्रशिक्षण के उत्साहवर्द्धक परिणाम आए हैं।
डॉ. कलाम झाबुआ जिला, जो मध्यप्रदेश में है और बहुत सुन्दर है?
महाप्रज्ञ - हां, सर्वोदयी विचारक बालविजयजी ने वहां चल रहे प्रयोगों को निकटता से देखा । उन्होंने कहा - यदि पांच वर्ष तक लगातार ये प्रयोग चलते रहे तो कायाकल्प हो जाएगा। देश का प्रथम जिला बन जाएगा। बच्चों में जो सकारात्मक बदलाव आया है, वह आश्चर्यकारी है ।
डॉ. कलाम
आप क्या प्रयोग कराते हैं?
महाप्रज्ञ
ध्यान का प्रयोग करते हैं जिसमें इमोशन पर कंट्रोल करना सीख जाएं। आसन-प्राणायाम, प्रेक्षा, अनुप्रेक्षा और संकल्प के प्रयोग कराए जाते हैं। इनसे पिट्यूटरी और पीनियल ग्लैण्ड का जागरण होता है और एड्रीनल ग्लैण्ड पर नियंत्रण होता है। केवल सैद्धांतिक नहीं, प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण का सारा कार्य वैज्ञानिक दृष्टि से हो रहा है ।
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डॉ. कलाम
( मुस्कुराते हुए) और वह अध्यात्म के द्वारा हो रहा है।
• महाप्रज्ञ - हमारे गुरु आचार्य तुलसी कहते थे - आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व का निर्माण आज की सबसे बड़ी अपेक्षा है। कोरा अध्यात्म बहुत उपयोगी नही होता और कोरा विज्ञान खतरनाक हो सकता है । इसलिए ऐसे व्यक्ति का निर्माण जरूरी जो आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों हो
डॉ. कलाम
महाप्रज्ञ डॉ. कलाम
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अध्यात्म और विज्ञान दोनो जुड़े हुए हैं। वस्तुतः विज्ञान और अध्यात्म दो नहीं हैं।
'हाँ!’
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महाप्रज्ञ • विज्ञान भी सत्य की खोज के लिए है और अध्यात्म भी सत्य की खोज के लिए है ।
डॉ. कलाम एक आध्यात्मिक वैज्ञानिक हो सकता है और एक वैज्ञानिक आध्यात्मिक हो सकता है। आज समस्या दूसरी है और वह यह है कि एक धार्मिक आध्यात्मिक कैसे बने? आज व्यक्ति धार्मिक है पर आध्यात्मिक नहीं है।
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महाप्रज्ञ आप ठीक कह रहे हैं। एक समय था जब धर्म साधकों के हाथ में था। आज वह धर्माधिकारियों के हाथ में आ गया है। महावीर,