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________________ 326] [जैन विद्या और विज्ञान . महाप्रज्ञ - जैन साधना पद्धति का एक प्रचलित शब्द है - वीतराग'। डॉ. कलाम - (अपनी डायरी में इस शब्द को नोट कर) 'वीतराग का तात्पर्य...? महाप्रज्ञ - राग और द्वेष से परे, 'मैं' और 'मेरा' से परे जो है वह वीतराग है। वीतरागता की साधना हायर कांशियस तक ले जाती डॉ. कलाम - सबसे बड़ी समस्या ईगो (Ego) की है। मैं और मेरा' . इसको आदमी के दिमाग से कैसे निकालें? महाप्रज्ञ - मस्तिष्क का जो आगे का हिस्सा (फ्रंटल लॉब) है, वह इमोशन का क्षेत्र है, भाव का क्षेत्र है। यहां ध्यान का प्रयोग करने से ईगो कम होता है, अहं, काम, क्रोध आदि शांत होते हैं। नेगेटिव इमोशन (नकारात्मक भाव) निष्क्रिय होते चले जाते हैं और पोजिटिव इमोशन (सकारात्मक भाव) सक्रिय हो जाते हैं। मस्तिष्क का एक भाग है लिम्बिक सिस्टम, उसका एक भाग है हाइपोथेलेमस। हमारे हायर कांशियस माइंड से जो वाइब्रेशन (प्रकंपन) आते हैं, वे हाइपोथेलेमस को प्रभावित करते हैं। एक विद्यार्थी है या बड़ा आदमी, उसको बदलना चाहते हैं तो हाइपोथेलेमस पर ध्यान कराएं। बदलाव निश्चित आएगा। (आचार्यवर ने ज्योति केन्द्र पर अंगुली रखते हुए कहा) मस्तिष्क के इस केन्द्र पर सफेद रंग का ध्यान कराते हैं, इससे क्रोध आदि आवेश शांत हो जाते हैं। डॉ. कलाम – आचार्यजी! आज की समस्या यह है - इतना बड़ा राष्ट्र है, उस पर अहंकार और ममकार ही राज कर रहा है। महाप्रज्ञ - जो ट्रेनिंग लेकर बड़े लोग बनते हैं, वे बदल सकते हैं। सत्ता पर जो हैं, वे बिना ट्रेनिंग आए हुए हैं, इसलिए यह समस्या है। यदि शुरू से ही ट्रेनिंग दे दी जाए तो यह समस्या नहीं आएगी। डॉ. कलाम - बच्चों से ही ट्रेनिंग को शुरू करना होगा। महाप्रज्ञ - हां, आपका और हमारा विचार एक है। यदि वर्तमान पीढ़ी पर प्रयत्न करें तो भावी पीढ़ी अच्छी बन सकती है, (आचार्यवर ने झाबुआ जिले में चल रहे प्रयोगों का उल्लेख करते हुए कहा) झाबुआ जिले के
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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