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[ जैन विद्या और विज्ञान
बुद्ध, ईसा, नानक, जरथुस्त्र आदि सब साधक थे। आज उनके नाम पर केवल धर्म का उपदेश देने वाले हैं। आज साधना कम और धन-सत्ता प्रमुख हो गई
डॉ. कलाम – भारत में हजारों-लाखों लोग धर्म को मानते हैं। उनमें परिवर्तन कैसे करें? उन्हें आध्यात्मिक कैसे बनाएं?
__ महाप्रज्ञ - यह बहुत कठिन है। यदि विद्यार्थियों से प्रारंभ करें, उनकी धारणा को बदलें तो कुछ सफलता मिल सकती है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं, आपके दो-चार प्रतिनिधि साथ रहें तो काम काफी आगे बढ़ सकता
___डॉ. कलाम – मैं इन दो वर्षों में बीस हजार बच्चों से मिला हूं। मैं क्यों मिलता हूँ? आचार्यजी! यह मेरा मिशन है। मेरे मन में लगन है कि राष्ट्र का आध्यात्मिक विकास कैसे हो? यह हमारी भारत की विरासत है। महावीर, बुद्ध आदि ने अध्यात्म का जो विकास किया, जो सूत्र दिए, उनका व्यापक बनना जरूरी है।
आचार्यजी! मैं नागालैण्ड गया। आठवी कक्षा तक के बच्चों से मिला। एक बच्चे ने कहा - मैं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता हूं। सुखी, सुरक्षित और समृद्ध जीवन जीना चाहता हूं। आप हमें बताएं कि यह कब होगा? कब हमारा भारत देश सुन्दर होगा, सुरक्षित और समृद्ध होगा? इसमें चारों ओर शांति का वातावरण होगा। मैंने उनसे कहा – मैं आचार्यजी! गुरुजी से पूछंगा और तुम्हें बताऊंगा।
आचार्यजी! भारत का आर्थिक विकास कैसे हो सकता है? वह आर्थिक दृष्टि से कैसे समृद्ध हो सकता है, यह मैं जानता हूं। ऐसा भारत हम बना सकते हैं। किंतु भारत के लोग आध्यात्मिक चिन्तन में कैसे आगे बढ़े? यह मार्ग आप बताएं।
महाप्रज्ञ - आप अपने प्रतिनिधि को हमारे पास भेजें। इस विषय पर गहरा चिन्तन चले। एक योजना बनाएं और इस दिशा में सघन कार्य करें। डॉ. कलाम - कांजीवरम के शंकराचार्य, ब्रह्माकुमारी, स्वामिनारायण, आर्चविशप आदि सभी धर्म-सम्प्रदायों के प्रमुख लोग मिलकर एक सेतु बना सकते हैं। .
महाप्रज्ञ - यह बहुत अच्छा विचार है। डॉ. कलाम - क्या आपका आशीर्वाद है।