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- [जैन विद्या और विज्ञान
2003 में विश्व की प्रथम उच्च रक्तचाप समिति की सिफारिश में उच्च रक्तचाप के इलाज का पहला बिन्दु जीवन शैली परिवर्तन तथा ध्यान का है। उनके अनुसार उच्च रक्तचाप कम करने के लिए यह प्रयोग दवाई शुरू करने से पहले करना चाहिए। हालांकि उस समिति ने किसी विशेष ध्यान के प्रयोग के बारे में नहीं कहा लेकिन प्रेक्षाध्यान तथा प्राणायाम इस तरह . के प्रयोगों में अग्रणी है। न केवल इसके माध्यम से साधारण हाईपरटेंशन पूर्णतया ठीक हो सकता है बल्कि गंभीर उच्च रक्तचाप भी कम हो सकता है। इस बारे में जोधपुर में एक प्रयोग किया गया तथा पाया गया कि 25 में से 14 मरीजों में रक्तचाप की बीमारी में अत्यन्त लाभ रहा। यहां तक कि • चार मरीजों को दवा की आवश्यकता ही नहीं रही तथा शेष मरीजों में दवा की मात्रा कम हो गई।
__ हाइपरटेंशन में प्रेक्षा के प्रयोग
आयु वर्ग | लिंग प्रेक्षा से पूर्व
प्रेक्षा के 3 माह बाद । पु. स्त्री | सिस्टोलिक | डायस्टोलिक | सिस्टोलिक | डायस्टोलिक
31-401
03 | 150 + 17 |
98 +9
| 130 +11|
90 +4
41-501
51 +]08
04
25 |
इस बारे में विभिन्न प्रयोग दिल्ली के एम्स में किए गए हैं तथा 2-4 सप्ताह के प्राणायाम के अभ्यास के बाद उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति सामान्य जीवन बिताने लगते हैं। लेकिन प्राणायाम हमेशा करने पर ही हाइपरटेंशन हमेशा के लिए समाप्त हो सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ लोग जिन्हें अन्तःस्रावी ग्रन्थियों जैसे एड्रीनल या थाइराइड की अधिकता से हाईपरटेंशन होता है, उन्हें भी तैजस केन्द्र या विशुद्धि केन्द्र पर ध्यान करने से लाभ मिल सकता है। दमा (Bronchial Asthma).
__ वर्तमान में सांस की बीमारियां बहुत बढ़ी हैं। इसका कारण संभवतया बढ़ता प्रदूषण है। फैक्ट्रियों से उठता धुआं हो या वाहनों से उठता हुआ