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________________ प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ] [ 293 - आचार्य महाप्रज्ञ के अनुसार - 'लं का ध्यान हृदय रोग को कम करता है। इस पर कोई वैज्ञानिक शोध नहीं हुई है अतः इसके बारे में कुछ कहना संभव नहीं है। ध्वनि का उपयोग पेरासिम्पेथेटिक सिस्टम (Parasymphatetic System) को उत्तेजित करता है और यह सिस्टम कोरोनरी आरटरी को ढीला करता है, रास्ता चौड़ा कर खून का दौरा बढ़ा सकता है, यह संभावना हो सकती है। इसके लिए वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है। हृदय की अन्य बीमारियों विशेषतः वाल्व की, मायोकार्डियम अथवा पेरीकार्डियम पर अभी तक जितने प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों के परिणाम प्राप्त हुए है तथा जो प्राप्त अभी तक करने हैं वे उत्साहवर्धक हैं और भविष्य में इस दिशा में होने वाले प्रयत्नों से प्रेक्षाध्यान की उपयोगिता सिद्ध हो सकेगी। उच्च रक्त-चाप (Hypertension) . उच्च रक्त-चाप आज काफी साधारण बीमारी बन गई है। दुनिया के 20 प्रतिशत से ज्यादा लोग इसके शिकार हैं। बढ़ता तनाव, परिवर्तित जीवन शैली, असंतुलित भोजन व.भाग दौड़ की जिंदगी संभवतः इसके कारण हो सकते हैं। हालांकि 80 प्रतिशत मरीजों में उच्च रक्तचाप के कारण का पता लगाना बाकी है। इसीलिए मेडिकल साइंस इसे एसेन्सियल उच्च रक्तचाप (Essential Hypertension) कहती है। इसके अतिरिक्त एड्रीनल व थाइराइड के अधिक स्राव से भी हाईपरटेंशन हो सकता है। उच्च रक्तचाप अपने आप में कोई विशेष लक्षण पैदा नहीं करता। सर दर्द, चक्कर या अस्वस्थ महसूस • होना ही इसके आम लक्षण हैं, जिसे अधिकांश लोग थकान के कारण मान कर उस पर गौर नहीं करते। लेकिन लम्बे समय तक उच्च रक्तचाप रहने से कई बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। जैसे लकवा, हृदयाघात या हृदय की कार्यशीलता का कम होना, गुर्दे के विकार, ब्रेन हेमरेज, आँखों में हेमरेज आदि। अतः यह आवश्यक है कि उच्च रक्तचाप को कभी भी हल्के रूप में नहीं लेना चाहिए। प्राणायाम के परिणाम प्रायः यह देखा जाता है कि हल्का उच्च रक्तचाप जीवन शैली परिवर्तन व आहार परिवर्तन से ही ठीक हो जाता है और यहां पर प्राणायाम बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। शिथिलीकरण से तनाव कम होता है व इससे एड्रीनल रेनिन सिस्टम पर असर होगा और उनका स्राव कम होगा। यह होने पर रक्तचाप कम हो जाएगा। यह धारणा वैज्ञानिक रूप से सिद्ध पाई गई है।
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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