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[ जैन विद्या और विज्ञान
से 10 मरीजों को पर्याप्त लाभ हुआ । उनका खून में कालेस्ट्रॉल तथा वसा कम होकर सामान्य हो गई, सीने में दर्द की शिकायत कम हो गई तथा इकोकार्डियोग्राफी की रिपोर्ट में हृदय की कार्यक्षमता बढ़ गई। अतः यह निश्चित है कि प्रेक्षाध्यान की
क्रियाएं हृदय रोगों में उपचार के लिए सहायक सिद्ध होती हैं।
प्रश्न है कि प्रेक्षाध्यान की क्रियाओं से ऐसा कैसे हो जाता है? विज्ञान के पास अभी पूर्णतया इसकी समझ नहीं आ पाई है, ऐसा होता है यह तो प्रयोगों से पता चल गया, क्यों हुआ, अभी समझना है ।
डॉ. अरविन्द जैन के अनुसार संभवतया शारीरिक क्रियाओं से जो बाहरी वसा के आवरण हैं उनमें कुछ परिवर्तन होते हैं और वे लाईपोप्रोटीन (Lipoprotein) को खून में कम करते हैं। यह संभव है कि प्लेटलेट (Platelet) का जुड़ना भी इस क्रिया से कम होता है, और यह दोनों कोरोनरी आरटरी में रुकावट को नहीं बढ़ने देते और जो रुकावट है उसे कम करते हैं। हृदय रोग के मरीजों पर प्रेक्षाप्रयोग के परिणाम निम्न सारणी में संकलित हैं।
हृदय रोग के मरीजों पर प्रेक्षा के प्रयोग
मरीजों की संख्या
आयु कुल पुरुष महिलाएं औसत प्रेक्षा वर्ग
से पहले
31-45 03 03
46-60 15 11
25
61 + 07 04
18
—
04
03
दर्द / प्रतिदिन
07
. बाद
0.8 0.6 06 ± 8.4
2.1
1.4
खण्ड खण्ड
टी.एम.टी. के दौरान कसरत जब दर्द
अधिकतम एसटी. डिप्रेशन
प्रेक्षा के प्रेक्षा के
पहले
बाद
शुरू हो जाए
(औसतन )
6.9 मिनट प्रेक्षा के पहले
9. 2 मिनट प्रेक्षा के बाद