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________________ प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ] [ 287 'नाड़ियों सरवाइकल प्लेक्सस तथा पैरों में जाने वाली नाड़ियां लम्बर व सेक्रल प्लेक्सस कहलाती हैं। ऑटोनोमिक नाड़ी तंत्र (तंत्रिका तंत्र) यह तंत्र शरीर में नाड़ी तंत्र का एक हिस्सा है जो कि केन्द्रीय नाड़ी तंत्र के सीधे नियंत्रण में नहीं है। यह अपना कार्य स्वतंत्र रूप से करता है। यह तंत्र मुख्यतः धमनी तंत्र, शरीर के आंतरिक अंग जैसे आमाशय, आंतें, हृदय, ग्रंथिका तंत्र, अंतःस्रावी ग्रन्थियां (Endocrines) तथा गुर्दे आदि को नियंत्रित करता है। यह नाड़ी तंत्र अवचेतन स्थिति में होने वाले सारे कार्य करता है। शरीर में होने वाली वे क्रियाएं जो आंतरिक अंगों के वातावरण को बदल सकती हैं। इस तंत्र के शिथिल या उत्तेजित होने पर होती है। जब भी शरीर को किसी परिवर्तन की आवश्यकता होती है तुरंत ही यह तंत्र क्रिया करता है। इस तंत्र के द्वारा संचालित होने वाली मुख्य क्रियाओं में खून का विभिन्न : अंगों में वितरण, रक्त चाप को सामान्यतः रखना, श्वसन को सामान्य रखना, आंतों को गति बनाए रखना, आंसू, लार तथा अन्य पाचक एन्जाइम का प्रावण संरचना यह नाड़ी तंत्र एक गेन्गलियोन (गांठ के आकार का अंग) से प्रारम्भ होता है। इस तंत्र में दो प्रकार की नाड़िया होती हैं - . 1. सिम्पेथेटिक 2. पेरासिम्पेथेटिक गेन्गलियोन से पोस्ट गेन्गलियोनिक नाड़ियां निकलती हैं जो शरीर के • सभी अंगों में जाती हैं। मस्तिष्क के वक्कुल (कारटेक्स) से कुछ नाड़ियां ऑटोनोमिक नाड़ी तंत्र से जुड़ती हैं तथा इस नाड़ी तंत्र व शरीर की आवश्यकताओं को संतुलित करती है। सिम्पेथेटिक तंत्र इसके नाड़ी तंतु कमर के पास रीढ़ की हड्डी के पहले थोरेसिक से दूसरे लम्बर तक 14 तंतु निकलते हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों में जाते
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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