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[जैन विद्या और विज्ञान
करना तथा स्त्री हारमोन इस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन को बनाना। इनका कार्य स्त्री गुण उत्पन्न करना तथा मासिक धर्म का संचालन करना हैं।
यह स्वास्थ्य केन्द्र का संबधित प्रभाव क्षेत्र हैं। 8. पीनियल ग्रंथि
इसका स्थान मस्तिष्क के मध्य में होता हैं। यह परिमाण में गेहूँ के .. दाने जितनी होती है। इस ग्रन्थि का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है काम ग्रन्थियों के स्रावों का निरोध करना। इस प्रकार यह ग्रन्थि शैशवास्था में व्यक्ति का काम नियमन कर उसे यौवन प्राप्ति को रोकती है। इसके अतिरिक्त मेलेटॉनिन नामक एकमात्र स्राव इससे निकलता है जो जागृति - सुषुप्तावस्था के चक्र को निर्धारित करता है। रात में मेलेटॉनिन ज्यादा स्रावित होकर निद्रा को । बढ़ाता है। काम-वासना पर इस हारमोन का प्रभाव पूर्णतया स्पष्ट नहीं है। शक्ति केन्द्र
आचार्य महाप्रज्ञ ने शरीर के शक्ति केन्द्रों का वर्णन किया है। इन्हें तंत्रशास्त्र में चक्र व आयुर्वेद में मर्मस्थान कहा जाता है। प्रेक्षाध्यान में उनका नाम चैतन्य केन्द्र है। केन्द्रों में शक्ति होने पर भी. सुप्त अवस्था में रहते हैं : इसलिए शक्ति होने पर भी उसका पता नहीं चलता।
1. शक्ति केन्द्र – पृष्ठ रज्जु के नीचे विद्युत भंडार का केन्द्र। 2. स्वास्थ्य केन्द्र - पेडू के नीचे स्थित यह केन्द्र गोनाड्स का प्रभाव __क्षेत्र है। इसके द्वारा मनुष्य का अचेतन मन नियंत्रित होता है। 3. तैजस केन्द्र – नाभि का स्थान है। इसका संबंध एड्रीनल व गुर्दे
के साथ है। 4. आनंद केन्द्र - फेफड़े के नीचे हृदय का पार्श्ववर्ती स्थान है।
यह थाइमस का प्रभाव क्षेत्र है। 5. विशुद्व केन्द्र - यह स्थान कंठ देश है। यह थायराइड का प्रभाव
क्षेत्र है। 6. ब्रह्म केन्द्र - जीभ का अग्रभाग है। 7. प्राण केन्द्र - नासाग्र पर स्थित है। ध्यान के लिए इसका प्रयोग
महत्त्वपूर्ण है। 8. अप्रमाद केन्द्र का स्थान कान है। इसका जागरूकता से संबंध