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प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ]
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9. चाक्षुष केन्द्र - चक्षु पर स्थित जीवनी शक्ति का केन्द्र है। 10. दर्शन केन्द्र - दोनों भृकुटियों के बीच अवस्थित है। यह पिट्यूटरी _ ग्लैण्ड का प्रभाव क्षेत्र है। 11. ज्योति केन्द्र - ललाट में मध्य में स्थित पीनियल ग्रंथि का प्रभाव
क्षेत्र है। - 12. शान्ति केन्द्र - अग्रमस्तिष्क में स्थित भावधारा से संबंध रखता
. है। इसका क्षेत्र हाइपोथेलेमस है। 13. ज्ञान केन्द्र - यह अतीन्द्रिय चेतना का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
चैतन्य केन्द्रों को जागृत करने के शक्तिशाली उपायों में से एक है प्रेक्षाध्यान। एकाग्रता के साथ जिस चैतन्य केन्द्र को देखा जाता है, उसमें प्रकंपन शुरू हो जाते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ की यह मौलिक देन है कि उन्होंने इस नियम को स्वीकार किया है कि शरीर के जिस भाग पर ध्यान करते हैं, वह विकसित हो जाता है। जहां प्राणधारा का प्रवाह जाता है, वह भाग सक्रिय हो जाता है। चैतन्य केन्द्र और मेडिकल साइंस
प्रेक्षा से संभव है कि चैतन्य केन्द्र जागृत हो जाए लेकिन मेडिकल • सांइस में इस तरह के केन्द्रों की मान्यता नहीं है। जहां तक यह धारणा है कि अन्तःस्रावी ग्रन्थि तंत्र के पास/या उस पर अवस्थित केन्द्र पर ध्यान करने से वे जागृत होंगे या वह ग्रन्थि स्राव करने लगेगी या स्राव रुक जाएंगे, यह चिन्तनीय है। क्योंकि ग्रन्थियां अपने आप में कुछ भी सावित नहीं करती जब तक कि नियंत्रक ग्रन्थि से रक्त में संबंधित रसायन न पहुंच जाए।
आचार्य महाप्रज्ञ के अनुसार विभिन्न केन्द्रों की मान्यता एकाग्रता के लिए की गई है। किसी विशेष केन्द्र पर एकाग्रता (ध्यान) करने से उस ग्रन्थि से संबंधित हार्मोन्स क्रिया करने लगते हैं क्योंकि हाइपोथेलेमस के द्वारा सिगनल्स या नियंत्रक हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं। इस विधि में विशेष कुछ करना नहीं है केवल किसी विशेष केन्द्र पर एकाग्र होना है। ___ शक्ति केन्द्र पर प्रेक्षा का प्रयोग कर हम भाव संस्थान को पवित्र बना सकते हैं। लिम्बिक सिस्टम मस्तिष्क का एक महत्त्वपूर्ण भाग है जहां भावनाएं पैदा होती हैं। इसका विस्तृत अध्ययन, इसकी उपयोगिता में वृद्धि करेगा।