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प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ]
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इनका स्रावण रात्रि में ज्यादा होता है। शायद प्रकृति ने सभी कामों के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया हैं और शरीर में हारमोन्स उसी प्रकार से स्रावित होते हैं।
__ मज्जा :- इससे एड्रीनलीन और नारएड्रीनलीन ये दो हारमोन्स बनते हैं। भय, चिन्ता और क्रोध के समय इनका स्राव बढ़ जाता है। जिससे दिल की धड़कन बढ़ जाती है, घबराहट महसूस होती है तथा रोहें खड़े हो जाते
तैजस केन्द्र नाभि पर स्थित है और सम्भवतः इस ग्रन्थि से नियंत्रित हैं।
तेजस केन्द्र पिशूनता, कषाय, तृष्णा, मोह आदि वृत्तियों को नियंत्रण करने के लिए होते है और एड्रीनल से स्रावित हारमोन्स् इन क्रियाओं से सीधे जुड़े है। अतः इस केन्द्र का महत्त्व इस अन्तःस्रावी ग्रन्थि से समझा जा सकता हैं। 6. थायमस
सीने के मध्य में स्थित यह हड्डी के पीछे स्थित होती है। इसका आकार अनिश्चित होता हैं। इसका कार्य बचपन से वयस्क होने तक अधिक रहता है। वयस्कता के बाद यह ग्रन्थि धीरे-धीरे अपना कार्य कम कर देती है। इसके द्वारा अंतःस्रावी गतिविधियां पूर्णतया ज्ञात नहीं है फिर भी शरीर की प्रतिरोध क्षमता के लिए यह जरूरी है।
आनन्द केन्द्र का संबंध इस ग्रन्थि से किया जा सकता है क्योंकि यह केन्द्र सीने के मध्य में स्थित है। 7. वृषण
यह पुरुष यौन ग्रन्थि है जो लिंग के पीछे त्वचा की थैलियों में स्थित होती हैं। इसके दो कार्य है -
(1) शुक्राणु बनाना (2) टेस्टोस्टीरोन का स्रावण करना
यह हारमोन पुरुष गुणों को उत्पन्न करता है जैसे दाढ़ी मूछ का आना। स्वास्थ्य केन्द्र का संबंध गोनाड्स के प्रभाव क्षेत्र में माना जाता हैं।
डिंब ग्रन्थियाँ - सेव के आकार की दो ग्रन्थियाँ जंघाओ के मध्य में नीचे की ओर पेल्विस में स्थित होती हैं। इनका कार्य है - डिंब स्खलित