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प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ]
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सफल नहीं हुई। किन्तु उस योनिप्राभृत ग्रन्थ में बतलाया गया है कि किसी भी प्रकार के प्राणी को उत्पन्न किया जा सकता है। उसमें उदाहरण मिलते हैं कि अमुक व्यक्ति ने हजारों भैंसे बनाए, घोड़े बनाए आदि-आदि। एक प्रसंग है। आचार्य मध्यरात्रि में अपने शिष्यों को योनि प्राभृत की वाचना दे रहे थे। उस दिन का प्रसंग था - मत्स्यों के उत्पादन की विधि। रास्ते में एक मच्छीमार गुजर रहा था। उसने कान लगाकर सारी विधि सुन ली। दूसरे दिन उसने उस विधि का प्रयोग किया। तालाब मछलियों से लबालब भर गया। दूसरे शब्दों में हम इस उत्पादन विधि को जिनेटिक इन्जीनियरिंग कह सकते है। यह विधि बहुत प्राचीन है।