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________________ प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ] [261 परत को खोलना होगा। जीवन परिवर्तन की प्रक्रिया है ध्यान। परिवर्तन के लिए मस्तिष्क के नव निर्माण की अत्यन्त आवश्यकता हैं। तभी नए आदमी का निर्माण संभव है। 9. नए मस्तिष्क की संरचना मस्तिष्क विज्ञानियों ने मस्तिष्क की तीन परतें बतलाई हैं - > लिंबिक सिस्टम » रेप्टेलियन » नियोकार्टेक्स . मनोविज्ञान की दृष्टि से जब-जब आदमी मस्तिष्क की रेप्टेलियन परत के प्रभाव में होता है, तब-तब अन्याय और अत्याचार करता है, अतिक्रमण करता है, आतंक फैलाता है। सारे अपराध इस रेप्टेलियन मस्तिष्क के प्रभाव काल में होते हैं। जैन दृष्टि से मोह कर्म के प्रभाव से होते हैं। गीता के अनुसार - काम और क्रोध, ये अपराध करा रहे हैं। - मस्तिष्क विद्या के अनुसार माना गया – यह परत लाखों वर्ष पुरानी है। सरीसृप जाति में इसका विकास हुआ था। वही परत आज तक मनुष्य के मस्तिष्क में है। आज के वैज्ञानिक यह नहीं मानते - सांप्रदायिक उन्माद मुल्ला-पंडितों के कारण होता है। अगर मस्तिष्क में यह परत न हो तो हजार प्रयत्न करने पर भी कुछ नहीं होगा। नए मनुष्य की परिकल्पना का तात्पर्य है - मस्तिष्क की नई संरचना हो और मस्तिष्क का प्रभाव क्षेत्र हम दूसरी दिशा में ले जाएं। जो पाशविक मस्तिष्क (एनीमल ब्रेन) है, उसके प्रभाव को सीमित कर नियोकार्टेक्स जो हमारे मस्तिष्क की सबसे अंतिम परत है, के प्रभाव में ले जायें। इससे हमारी दिशा बदल जाएगी। वास्तव में नए मनुष्य का जन्म होगा, जो अनावश्यक हिंसा नहीं करेगा। काम-वासना शरीर शास्त्र और मनोविज्ञान से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण मानवीय भावना का आवेग है काम-वासना । आचार्य महाप्रज्ञ ने इस ज्वलंत किन्तु नाजुक विषय पर सार्थक टिप्पणी दी है। सामान्यतः यह समझा जाता है कि स्त्री-पुरूष के परस्पर सम्पर्क में आने से कामवासना जागती हैं। यह एक कारण है। शरीर शास्त्र की दृष्टि में इसका सूक्ष्म कारण हैं – पीनियल और पिट्यूटरी ग्रन्थि
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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