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जैनं गणित और कर्मवाद ]
जैन साहित्य में भौतिक विज्ञान से संबंधित अनेक विषयों पर गंभीरता से चिंतन हुआ है। उनमें आकाश श्रेणियों का वर्णन विशेष रूप से उल्लेखनीय है। श्रेणियों का यह प्रकरण 'आकाश द्रव्य' की निम्न विशेषताओं को प्रकट करता है .
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1. आकाश का स्वरूप समांगी नहीं है ।
2. जैन आगमों में आकाश श्रेणियों का यह वर्णन इस वैज्ञानिक तथ्य को पुष्ट करता है कि जहां भी आकाश वक्राकार है, वहां के आकाश-प्रदेश की संख्या सीधी श्रेणी के आकाश प्रदेश की संख्या से असंख्य गुना अधिक होती है। इसी कारण वक्राकार श्रेणियों में अनन्त पुद्गल समा जाता है।
जैन प्राच्य साहित्य में वर्णित छह द्रव्यों के अध्ययन में, इस बात को सदैव ध्यान में रखना आवश्यक है कि सूक्ष्म अलग है, स्थूल अलग है।