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[ जैन विद्या और विज्ञान
आधुनिक विज्ञान के विद्यार्थी को परमाणु के उपलक्षणों में संदेह हो सकता है, कारण कि विज्ञान के सूक्ष्म यंत्रों में परमाणु की अविभाज्यता सुरक्षित नहीं
व्यवहार परमाणु से बने स्थूल और सूक्ष्म पदार्थो के भेद के अध्ययन के बाद अब हम वास्तविक सूक्ष्म परमाणु अर्थात् निश्चय परमाणु के द्वारा अन्य द्रव्यों के सूक्ष्मतम अंशों की समतुल्यता के बारे में अध्ययन करेंगे।
जैन साहित्य में सूक्ष्म परमाणु से ही अन्य द्रव्यों के सूक्ष्मतम काल्पनिक अंश निर्धारित किए गए हैं। यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि सूक्ष्म परमाणु की अत्यन्त सूक्ष्मता होने के कारण यह माप का आधार नहीं है केवल समतुल्यता का आधार है। सूक्ष्मतम काल ___इस क्रम में हमें काल के सूक्ष्मतम अंश को भी जानना चाहिए। पुदगल की सभी घटनाएं आकाश-काल से बंधी हुई है। काल की सूक्ष्मतम इकाई 'समय' है और इसके आगे की इकाई को 'आवलिका' कहा है जो असंख्य समय के बराबर है। काल की सारिणी में समय और आवलिका के बीच असंख्य का भेद रखना स्पष्ट रूप से बताता है कि सूक्ष्म का स्थूल में माप परिवर्तन असंख्य समयों के अर्थात् क्वांटम जम्प (Quantum Jump) के बाद होता है। अतः 'समय' का माप सूक्ष्म जगत का है और आवलिका का माप स्थूल जगत के काल से है। परमाणु-पुद्गल की भांति काल भी दो स्तरों (Tier) पर विवेचित हुआ है।
यह कहा जा सकता है कि सूक्ष्म परमाणु और समय, सूक्ष्म जगत में पुद्गल और काल की प्रतिनिधि ईकाइयां हैं तथा व्यावहारिक परमाणु और आवलिका, स्थूल जगत की प्रतिनिधि ईकाइयां है। वैज्ञानिक धारणा
विज्ञान जगत में काल के सूक्ष्मतम अंश को जानने के प्रयत्न अभी तकं जारी हैं। विज्ञान की प्रसिद्ध पत्रिका 'नेचर' (Nature) में आस्ट्रिया के वैज्ञानिकों ने प्रकाशित किया है कि "ऐटो सेकंड" के सौंवे हिस्से को मापने में उन्हें सफलता मिली है। इस खोज ने भविष्य की घड़ियों के और अधिक सुग्राही होने की राह आसान कर दी है। यह समय की इतनी छोटी इकाई है कि इसे सामान्य सेंकड के साथ एक ही पैमाने पर मापा जाए तो तीस करोड़ साल में सौ "ऐटो सेकंड" एक सेकंड तक पहुंच सकेंगे। वैज्ञानिकों ने इसे